Google

शुक्रवार, 20 मई 2011

ममता बनर्जी ने संभाली प. बंगाल की कमान

ममता बनर्जी ने संभाली प. बंगाल की कमान



कोलकाता। पश्चिम बंगाल में वाम के 34 वर्ष के शासनकाल का अंत करने वाली ममता बनर्जी ने 38 सदस्यीय तृणमूल कांग्रेस-कांग्रेस सरकार की मुखिया के तौर पर शुक्रवार को शपथ लेकर एक नया इतिहास रच दिया क्योंकि वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई है।

राज्यपाल एम के नारायणन ने 56 वर्षीय ममता को राज्य की 11वीं मुख्यमंत्री के रूप में पद और गोपनीयता की शपथ दिलवाई। उनके साथ तृणमूल के 35 और कांग्रेस के दो सदस्यों ने मंत्री पत्र की शपथ ली। तृणमूल कांग्रेस के चार विधायकों को राज्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई।

शपथ लेने के समय ममता साधारण सफेद साड़ी और तिरंगा उत्तरीय पहने हुए थीं। उन्होंने बांग्ला में ईश्वर के नाम पर शपथ ली। ममता के कैबिनेट में शामिल होने वालाें में तृणमूल कांग्रेस विधायक दल के उप नेता पार्थ चटर्जी, फिक्की के पूर्व सचिव एवं तृणमूल के टिकट पर चुनाव जीते अमित मित्र, पश्चिम बंगाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मानस भुइयां, कांग्रेस विधायक दल के नेता अबु हिना शामिल हैं। संकेत हैं कि अमित मित्र को राज्य का वित्त मंत्री बनाया जा सकता है।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने दोपहर एक बजकर एक मिनट पर शपथ ली। शपथ का यह समय ममता ने खुद तय किया था। शपथ ग्रहण समारोह में 3,000 से ज्यादा अतिथि मौजूद थे जिनमें पराजित मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और वाम मोर्चे के संयोजक विमान बोस शामिल थे।

डेढ़ घंटे से अधिक चले शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम, राज्य के पूर्व वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एच ए हलीम भी उपस्थित थे। पूर्व राज्यपाल वीरेन जे शाह ने भी समारोह में शिरकत की।

बुधवार, 18 मई 2011

भारद्वाज ने कहा, येद्दियुरप्पा के पास भारी बहुमत

भारद्वाज ने कहा, येद्दियुरप्पा के पास भारी बहुमत



बेंगलूर। कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने बुधवार को कहा कि मुख्यमंत्री बी एस येद्दियुरप्पा के पास भारी बहुमत है और इस बारे में कोई संदेह नहीं है।

कर्नाटक में भाजपा सरकार के साथ एक तरह से चल रहे राजनीतिक युद्ध के बीच, यहां एक सरकारी समारोह में मुख्यमंत्री के साथ मौजूद भारद्वाज ने अपने और येद्दियुरप्पा के बीच मतभेदों से बचने की कोशिश की। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के करीब एक सप्ताह बाद पहली बार भारद्वाज और येद्दियुरप्पा एक मंच पर नजर आए।

बहरहाल, खुद को वापस बुलाए जाने की भाजपा की मांग पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि राज्यपाल के तौर पर उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति ने की थी तथा उनके [राष्ट्रपति के] अलावा और कोई उन्हें [भारद्वाज को] वापस नहीं बुला सकता।

कर्नाटक लोकसेवा आयोग के स्वर्ण जयंती समारोह में उन्होंने कहा, 'मैं यह तथ्य जानता हूं कि मुझे पूरी तरह संविधान के अनुरूप ही काम करना है।'

राज्यपाल ने कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी जिसके बाद भारद्वाज के खिलाफ भाजपा के उच्च्च स्तरीय अभियान में भाग ले कर आज सुबह नई दिल्ली से लौटे येद्दियुरप्पा तनावमुक्त नजर आए और मंच पर दोनों को कई बार बातचीत करते देखा गया। भारद्वाज ने अपने संबोधन में कहा 'यह समझना चाहिए कि मुख्यमंत्री राज्य के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। उनके पास भारी बहुमत है, इस बारे में कभी कोई विवाद नहीं रहा और हम मित्र हैं। यह राजनीतिक तनाव अप्रासंगिक है। हमें खुद को संविधान और कानून के प्रति समर्पित करना होगा।'

उन्होंने कहा कि जहां तक उनका सवाल है तो उनकी कुछ भी गलत करने की कोई योजना नहीं है लेकिन, 'मेरे हाथ संविधान से बंधे हुए हैं।'

भारद्वाज ने कहा कि वह चाहते हैं कि कर्नाटक में उनकी सरकार एक ख्यातिप्राप्त सरकार बने। उपनिषद को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि अतिथि भगवान की तरह होता है और राज्यपाल के तौर पर वह राज्य के अतिथि हैं।

नई दिल्ली में पिछले दो दिन में भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात कर, राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की भारद्वाज की सिफारिश को खारिज करने और उन्हें वापस बुलाने की मांग की।

मुख्यमंत्री राज्यपाल से मिल कर, अपनी सरकार का बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा का सत्र शीघ्र बुलाने का अनुरोध करेंगे।

भारद्वाज ने येद्दियुरप्पा को राज्य के विकास के लिए कड़ी मेहनत करने वाला मुख्यमंत्री करार दिया। उन्होंने कहा 'अभी भी मुख्यमंत्री राज्य के विकास के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं। मैं जानता हूं कि वह दिन में 18 से 20 घंटे तक काम करते हैं।'

राज्यपाल ने यह आरोप खारिज कर दिया कि वह पक्षपात करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में कभी पक्षपात नहीं किया। उन्होंने कहा कि येद्दियुरप्पा के खिलाफ उनके मन में कुछ भी नहीं है।

उन्होंने कहा, 'मेरे चपरासी से लेकर सचिव तक, मैं सभी के साथ प्यार और अपनेपन से व्यवहार करता हूं और बदले में यही चाहता हूं।' मुख्य सचिव, सचिवों और राज्य के नौकरशाहों को अपने संबोधन में भारद्वाज ने कहा 'सिद्धांतों के आधार पर और एक दूसरे को सम्मान देते हुए काम करिए।'

 उन्होंने राज्य के नौकरशाहों की सराहना करते हुए कहा कि वह अन्य राज्यों में अपने समकक्षों की तुलना में बेहतर काम कर रहे हैं। गुजरे जमाने की याद करते हुए येद्दियुरप्पा ने कहा कि राजनीति में आने से पहले, कभी वह एक क्लर्क के तौर पर सरकारी नौकरी करते थे। उन्होंने कहा 'मुख्यमंत्री बनने के बाद, मैंने कई सबक सीखे। आने वाले दो वर्षों में मैं पारदर्शी प्रशासन पर पूरा ध्यान दूंगा। इसके लिए मैं सभी वरिष्ठों का सहयोग चाहता हूं।'

बुधवार, 11 मई 2011

प्रशासन बेखबर, राहुल पहुंचे भट्टा परसौला गांव

प्रशासन बेखबर, राहुल पहुंचे भट्टा परसौला गांव




ग्रेटर नोएडा। प्रशासन को बिना जानकारी दिए हुए काग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को भट्टा परसौल गाव के लोगों से मुलाकात की। यहा के लोगों की भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर पुलिस के साथ हिंसक झड़प हुई थी। राहुल प्रशासन को सूचित किए बगैर गाव में सुबह के छह बजे पहुंचे और ग्रामीणों के घर गए। उन्होंने स्थानीय लोगों की समस्याओं को समझने के लिए उनसे बात की।

गौरतलब है कि शनिवार को पुलिस और किसानों के बीच हुई झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद यह जगह पार्टियों के लिए राजनीतिक अखाड़ा बन गया। राजनीतिक दलों ने उत्तर प्रदेश सरकार की भूमि अधिग्रहण नीति की तीखी आलोचना की है।

अमेठी से सासद राहुल ने बीते साल अलीगढ़ जिले के टप्पल गाव का दौरा किया था और 'यमुना एक्सप्रेस-वे परियोजना' के लिए मायावती सरकार द्वारा अधिग्रहित की गई भूमि के लिए अधिक मुआवजे की माग की थी।

ग्रेटर नोएडा और इससे सटे इलाकों के किसान अपनी जमीन के लिए मायावती सरकार से अधिक मुआवजे की माग कर रहे हैं। इस बीच, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल दिल्ली में राष्ट्रीय लोक दल के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया था कि सरकार संसद के आगामी सत्र में भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन के लिए एक विधेयक पेश करेगी।

भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी ने गौतम बुद्ध नगर में किसानों पर पुलिस कार्रवाई की कल निंदा करते हुए माग की थी कि भूमि अधिग्रहण के चलते विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए एक नया कानून बनाया जाए।

जोशी ने कहा कि किसानों की जमीन सस्ती दर पर लेना और उद्योगपतियों को इसका दुरूपयोग करने की इजाजत देना गलत है। भूमि अधिग्रहण के खिलाफ जारी आदोलन के मद्देनजर किसानों ने राज्य के गाजियाबाद जिले के महरौली गाव में कल जितेन्दर नागर के नेतृत्व में एक पंचायत की और अपनी जमीन छोड़ने से इंकार कर दिया।

 अपने आदोलन के लिए समर्थन जुटाने के लिए किसान घर-घर गए और ग्रामीणों से कहा कि वह उनकी जमीन वापस दिलाने के लिए सरकार पर दबाव डाले।

बुधवार, 4 मई 2011

खांडू के हेलीकॉप्टर का मलबा व शव मिला

खांडू के हेलीकॉप्टर का मलबा व शव मिला



ईटानगर। अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू सहित लापता हुए हेलीकॉप्टर का मलबा और पांच क्षतविक्षत शव बुधवार सुबह राज्य के तवांग जिले के जंग झरना के करीब से बरामद किए गए।

उधर, केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि अरुणाचल के मुख्यमंत्री दोरजी खांडू को लेकर लापता हुए हेलीकॉप्टर का मलबा मिल गया है और शव भी बरामद किए गए हैं, लेकिन शवों की अभी पहचान नहीं हो पाई है।

उन्होंने मीडिया से अपील की कि आधिकारिक पुष्टि होने तक वह किसी तरह का अनुमान न लगाए। चिदंबरम ने कहा कि दुर्घटनास्थल की पहचान कर ली गई है, कुछ शव देखे गए हैं। अधिक जानकारी का इंतजार करें।

कुल 96 घंटे तक चले तलाशी अभियान के बाद बुधवार सुबह करीब 10 बजे खोजी दल ने सुदूर लोबोतंग क्षेत्र में मलबा पाया। यह क्षेत्र समुद्र से 10 हजार फुट की ऊंचाई पर खड़ी पर्वत श्रृंखलाओं और घने जंगलों वाला है। शवों को वहां बाहर निकालने के बाद ईटानगर लाए जाने की सम्भावना है। अधिकारियों के मुताबिक पर्वत श्रृंखला से शवों को निकालने में बचाव दल को तीन से चार घंटे का समय लग सकता है। भारी बर्फबारी और बारिश के कारण बचाव दल को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

गौरतलब है कि शनिवार को मुख्यमंत्री खांडू को तवांग से ईटानगर ले जा रहा पवन हंस कंपनी का हेलीकॉप्टर एएस 350 बी-3 सुबह 9.50 बजे लापता हो गया था। हेलीकॉप्टर के पायलट से आखिरी संपर्क उड़ान भरने के करीब 20 मिनट बाद हुआ था इस समय हेलीकॉप्टर सेला दर्रे के करीब 13,700 फुट की ऊंचाई पर था।

 हेलीकॉप्टर की तलाश के लिए बुधवार को पांचवे दिन भारतीय वायु सेना के छह हेलीकॉप्टरों ने सेला दर्रे में तलाशी अभियान शुरू किया था। कांग्रेस विधायक सेवांग धोनदुप की छोटी बहन येशमी लामू भी हेलीकॉप्टर में सवार थीं। इसके अलावा इसमें मुख्यमंत्री के मुख्य सुरक्षा अधिकारी और दो पायलट मौजूद थे।

सोमवार, 2 मई 2011

अमेरिका के लिए दुश्मन नंबर एक था ओसामा

अमेरिका के लिए दुश्मन नंबर एक था ओसामा


नई दिल्ली। अमेरिका के लिए ओसामा बिन लादेन दुश्मन नंबर एक था। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद वह अमेरीकी ख़ुफि़या एजेंसी सीआईए के लिए सर्वाधिक वाछित व्यक्ति था।

आतंकी नेटवर्क अलकायदा की स्थापना करने वाला ओसामा बिन लादेन [54वर्ष] न्यूयार्क और वाशिगटन में 11 सितंबर 2001 को हुए हमलों सहित कई आतंकी घटनाओं का मास्टरमाइंड था।

वह 1998 में अफ्रीका में अमेरिका के दो दूतावासों पर हुए बम हमलों और अक्तूबर 2000 में अदन के यमनी बंदरगाह पर यूएसएस कोल पर हुए हमले की घटनाओं में संदिग्ध था।

सऊदी अरब से निष्कािसत ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान के तालिबान शासन पर अमेरिका नीत हमले के बाद से ही भागता फिर रहा था। तालिबान ने ही लादेन को अफगानिस्तान में पनाह दी थी। अमेरिका नीत हमले में तालिबान के शासन का खात्मा हो गया था।

वर्ष 1957 में जन्मा लादेन सऊदी अरब के सबसे धनी भवन निर्माता का बेटा था। कई अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घटनाओं के लिए अमेरिका को ओसामा और उसके साथियों की तलाश थी। दस साल से अमेरिका ओसामा को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर अरबों डॉलर खर्च कर चुका है।

ओसामा बिन लादेन के पास अथाह संपत्ति है। उसने अफगानिस्तान में तालेबानी अभियान को संरक्षण दे रखा था। उसने अमेरिका के खिलाफ पवित्र युद्ध और अमेरिकीयों और यहूदियों को मारने का आह्वान किया था।

इस्लामिक ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना में सहयोग देने का भी ओसामा पर शक है। इनकी मदद से चेचेन्या और पूर्व सोवियत संघ के कई हिस्सों में लड़ाई के लिए योद्धा तैयार किए जाते हैं। कहा जाता है कि ओसामा के आसपास कोई तीन हज़ार लड़ाकों की फ़ौज होती थी।

ओसामा की ताक़त की बुनियाद बनी उसके परिवार द्वारा सऊदी अरब में निर्माण कार्यो के धंधे से अर्जित की गई संपत्ति थी। सऊदी अरब में एक यमन परिवार में पैदा हुए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए 1979 में सऊदी अरब छोड़ दिया।

कई जानकार मानते हैं कि ओसामा को ट्रेनिंग सीआईए ने ही दी थी।

अफ़ग़ानिस्तान में ओसामा ने मक्तब-अल-ख़िदमत की स्थापना की, जिसमें दुनिया भर से लोगों की भर्ती की गई और सोवियत फ़ौजों से लड़ने के लिए उपकरणों का आयात किया गया।

धर्म का तिरस्कार करने वाली एक विचारधारा के खिलाफ लड़ाई में अफ़गानी मुस्लिम भाइयों का साथ देने के लिए मिस्त्र, लेबनान और तुर्की से हज़ारों लोग बिन लादेन के साथ आ गए।

ओसामा बिन लादेन के ग्रुप को अरब अफ़गान के नाम से जाना जाने लगा था।

सोवियत सेना के लौट जाने के बाद अरब अफ़गान अमेरिका और मध्य पूर्व में उसके सहयोगियों के खिलाफ जुट गए।

ओसामा बिन लादेन अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालने के लिए सऊदी अरब लौट गया, पर 1991 में सरकार विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित कर दिया गया।

इसके बाद पाच साल तक वह सूडान में रहा और जब अमरीका के दबाव में सूडानी सरकार ने भी उसे निकाल दिया तो वह अफ़ग़ानिस्तान लौट गया। अमेरिका का कहना है कि ओसामा तीन बड़े हमलों में शामिल था। एक 1993 में व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुई बमबारी, दूसरा 1996 में सऊदी अरब में 19 अमरीकी सैनिकों की हत्या और तीसरा 1998 में कीनिया और तंज़ानिया में हुई बमबारी।

11 सितंबर, 2001 को व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले ने तो उसे अमेरिका के लिए अतिवाछित बना ही दिया था।

जानकार मानते हैं कि ओसामा का ग्रुप अपहरण और बमों से हमले करने वाले अन्य ग्रुपों से अलग है क्योंकि वह एक सुगठित ढाँचे वाला ग्रुप न होकर कई महाद्वीपों में काम कर रहे कई ग्रुपों का गठबंधन है। अमेरिकी अधिकारी मानते हैं कि ओसामा बिन लादेन के सहयोगी, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व और एशिया के 40 से भी अधिक देशों में सक्त्रिय हैं।

ओसामा से मिलने वाले लोगों के मुताबिक वह बहुत कम बोलने वाला, शर्मीला किस्म का इंसान था। उसकी तीन पत्नियाँ हैं। 11 सितंबर 2001 के बाद से ही ये अटकलें लगाई जाती रही थी कि वह कहा है। पाकिस्तान को उसका संभावित ठिकाना बताया गया। कई बार यह दावा भी किया गया कि वह मारा जा चुका है। पर उसकी ओर से समय-समय पर अपने संदेश वाले टेप भिजवाकर इन दावों को झूठा साबित किया गया।

 अमेरिका अधिकारियों को हमेशा यही लगता रहा कि ओसामा अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर कहीं छिपा है। हालाकि पाकिस्तान इसका खंडन करता रहा, लेकिन अब उसकी मौत पाकिस्तान में ही हुई है। ऐसे में पाकिस्तान की भी पोल खुल गई है। अमेरिका ने ओसामा के ठिकाने के बारे में जानकारी देने वाले को ढ़ाई करोड़ डॉलर का इनाम देने की घोषणा कर रखी थी।

अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन मारा गया

अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन मारा गया



इस्लामाबाद/वाशिंगटन। अमेरिका के विशेष बलों ने सोमवार सुबह पाकिस्तान की राजधानी के नजदीक अबोटाबाद में एक हेलीकॉप्टर हमले में दुनिया के सर्वाधिक वांछित आतंकवादी ओसामा बिन लादेन को मार गिराया।

अमेरिका लगभग दस साल से अलकायदा सरगना को जिंदा या मुर्दा पकड़ने की कोशिशों में लगा था और आखिरकार उसे आज इसमें सफलता मिल गई। अधिकारियों ने बताया कि तड़के चलाए गए अभियान में विशेष बल के कर्मी उस परिसर में उतरे जहां लादेन अपने वफादार अरब अंगरक्षकों की पहरेदारी में मौजूद था। इस अभियान में उन्होंने इस सर्वाधिक खूंखार आतंकी को ढेर कर दिया। इस खूंखार आतंकी सरगना के मारे जाने की खबर दुनिया को अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने व्हाइट हाउस से अपने सीधे संबोधन में दी।

ओबामा ने टीवी चैनलों पर लादेन के मारे जाने की प्रारंभिक खबरें प्रसारित होने के बाद अपने संबोधन में कहा कि बिन लादेन [54 वर्ष] मारा गया है और उसका शव अमेरिका के कब्जे में है।

लादेन के सिर पर ढाई करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम था। एबीसी न्यूज ने अज्ञात अमेरिकी अधिकारियों के हवाले से बताया कि अभियान में इस शीर्ष आतंकी सरगना के अतिरिक्त संदेशवाहकों के रूप में मानव ढाल बनकर रहने वाला उसका एक बेटा और एक महिला भी मारी गई।

प्रारंभिक खबरों में कहा गया था कि इन संदेशवाहकों के जरिए लादेन का पता लगा लिया गया था। पाकिस्तानी अधिकारियों के अनुसार परिसर में मौजूद अन्य महिलाओं और बच्चों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।

अमेरिका के विशेष दल ने इस्लामाबाद से 120 किलोमीटर दूर अबोटाबाद के नजदीक बिलाल नगर क्षेत्र में इस अभियान को अंजाम दिया। पाकिस्तान सरकार या सेना की ओर से अब तक कोई टिप्पणी नहीं आई है।

अमेरिकी अधिकारियों ने एबीसी न्यूज को बताया कि दो हेलीकाप्टरों ने रात डेढ़ बजे और दो बजे तथा 20 से 25 नेवी सील्स ने विशेष संयुक्त बल कमान के नेतृत्व में सीआईए के सहयोग से परिसर पर हमला बोला और लादेन तथा उसके लोगों को घेर लिया। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि लादेन ने इस लड़ाई के दौरान अपने हथियार से गोली चलाई।

अमेरिकियों ने लड़ाई खत्म होने के बाद लादेन का शव अपने कब्जे में ले लिया और उसकी पहचान की पुष्टि की।

अभियान के दौरान अमेरिका का एक हेलीकाप्टर क्षतिग्रस्त हो गया जिसे अमेरिकी सैनिकों ने खुद विस्फोटकों से नष्ट करने का फैसला किया।

पाकिस्तान के कई समाचार चैनलों ने परिसर के खाली अहाते में जलते हेलीकाप्टर की फुटेज प्रसारित की।

उन्होंने सोमवार सुबह पाकिस्तानी सैनिकों से घिरे एक परिसर की फुटेज भी प्रसारित की।

खबरों में कहा गया कि पाकिस्तानी सैनिकों ने क्षेत्र में घर-घर जाकर तलाशी ली। पाकिस्तान के समाचार चैनलों ने कहा कि जिस मकान में लादेन रह रहा था, वह खेतों के बीच में स्थित था और उसकी सात फुट ऊंची चहार दीवारों पर बिजली के तार लगे हुए थे।

खबर है कि अमेरिका पिछले साल अगस्त में यह सूचना मिलने के बाद महीनों से इस परिसर की निगरानी कर रहा था कि वहां हो सकता है कि लादेन रह रहा हो।

मकान में कोई फोन या टेलीविजन नहीं था और इसमें रहने वाले लोग कूड़ा करकट जला दिया करते थे।

मकान में ऊंची खिड़कियां थीं और पहुंचने के कुछ ही बिन्दु थे। अमेरिकी अधिकारियों ने इससे अंदाज लगाया कि यह किसी को छिपाने के लिए बनाया गया है।

मीडिया की खबरों में कहा गया कि मकान में खैबर पख्तूनख्वा के कुछ लोग रहते थे।

पाकिस्तान सैन्य अकादमी अबोटाबाद के नजदीक ही स्थित है। यह एक ऐतिहासिक शहर है जिसका नाम मेजर जेम्स एबट के नाम रखा गया है। इस ब्रिटिश अधिकारी ने ही 1853 में इस शहर की स्थापना की थी।

अमेरिकी अधिकारी पूर्व में कहते थे कि उनका मानना है कि लादेन अफगानिस्तान की सीमा से लगते पाकिस्तान के कबाइली क्षेत्र में रह रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक टेलीविजन संबोधन में लादेन के मारे जाने की घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकियों की एक छोटी टीम ने अभियान को अंजाम दिया। लड़ाई के बाद उन्होंने ओसामा बिन लादेन को मार गिराया और उसका शव अपने कब्जे में ले लिया।

 ओबामा के संबोधन के तुरंत बाद पाकिस्तानी तालिबान ने दावा किया कि तड़के हुए अमेरिकी हमले में लादेन नहीं मारा गया। तालिबान ने जीओ समाचार चैनल को एक बयान भेजकर कहा कि लादेन के मारे जाने की खबर बेबुनियाद है।