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सोमवार, 20 जून 2011

कनीमोरी को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं

कनीमोरी को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं



नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को 2जी स्पेक्ट्रम मामले में द्रमुक सांसद कनीमोरी और कलैंगनर टीवी के प्रबंध निदेशक शरद कुमार की जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और न्यायमूर्ति बी एस चौहान की विशेष पीठ ने दोनों आरोपियों से कहा कि वे विशेष सीबीआई अदालत में नियमित जमानत याचिका दाखिल करने से पहले उनके खिलाफ आरोप तय होने का इंतजार करें।

न्यायालय ने कहा कि इसके बाद ही सीबीआई अदालत, उनकी पिछली जमानत याचिकाओं पर हुई सुनवाई से अप्रभावित रहते हुए, इस बारे में फैसला कर सकती है। न्यायालय की ओर से जमानत याचिका खारिज करने के फैसले का मतलब है कि आरोप तय होने तक कनीमोरी और कुमार को जेल में ही रहना होगा।

अदालत ने लगभग डेढ़ घंटे तक सीबीआई और आरोपियों के वकीलों की ओर से पेश दलीलें सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज करने का फैसला सुनाया।

सीबीआई ने यह कहते हुए जमानत याचिका का विरोध किया कि कलैंगनर टीवी के साथ हुए 200 करोड़ रुपये के अवैध आर्थिक लेन-देन से जुड़े मूल दस्तावेज बरामद होने अभी बाकी हैं और आरोपी जमानत मिलने के बाद सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं।

गौरतलब है कि सिंघवी प्रारंभ से ही 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर नजर बनाए हुए हैं। वे करोड़ों रुपये के इस घोटाले में प्रभावशाली लोगों की भूमिका के बारे में सरकार से कई बार सवाल कर चुके हैं।

द्रमुक प्रमुख एम. करुणानिधि की बेटी कनीमोरी के लिए जमानत की यह आखिरी उम्मीद है। वह करीब एक महीने से दिल्ली की तिहाड़ जेल में हैं। इससे पहले सीबीआइ की विशेष अदालत और दिल्ली हाई कोर्ट भी उनकी जमानत की अर्जी खारिज कर चुके हैं।

 कनीमोरी और शरद कुमार पर सीबीआइ ने कलैगनर टीवी में 200 करोड़ रुपये के अवैध लेनदेन करने का आरोप लगाया है। स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा की डीबी रियलिटी से यह रकम प्राप्त करने वाले कलैगनार टीवी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कनीमोरी और कुमार की 20-20 फीसदी हिस्सेदारी है। दोनों को गत 20 मई को गिरफ्तार किया गया था।