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शनिवार, 11 जून 2011

अब पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की तैयारी

अब पश्चिम बंगाल का नाम बदलने की तैयारी


कोलकाता [निर्भय देवयांश]। लंबे संघर्ष के बाद पश्चिम बंगाल में 'परिवर्तन' का परचम लहराने वाली मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अब राज्य का नाम बदलकर बांग्ला या बंगदेश करना चाह रही हैं। उनका तर्क है, चूंकि देश में सिर्फ पश्चिम बंगाल है और पूर्व बंगाल का कोई अस्तित्व नहीं है। कभी इस नाम से अलग राज्य हुआ करता था, लेकिन पाकिस्तान से विभाजन के बाद पूर्व बंगाल बांग्लादेश बन गया। ऐसे में अब पश्चिम बंगाल का नाम बदल देना चाहिए। ममता को बांग्ला व बंगदेश दोनों नाम पसंद हैं, इसलिए आने वाले समय में किसी एक नाम पर मुहर लग सकती है।

 दूसरी तरफ वामपंथी बुद्धिजीवी इसके पक्ष में नहीं हैं। उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल नाम कोई खराब नहीं है। इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है, इसलिए नाम बदलने की जरूरत नहीं है। बांग्ला साहित्य के वरिष्ठ लेखक सुनील गंगोपाध्याय कहते हैं कि आखिर इसकी क्या जरूरत है? हर राज्य की अपनी पहचान है और उसे आगे भी कायम रखने की जरूरत है। हालांकि, परिवर्तनवादी बुद्धिजीवी नाम परिवर्तन के पक्ष में हैं। जाने-माने पेंटर जोगेन चौधरी कहते हैं कि राज्य के नाम परिवर्तन में हर्ज नहीं है। नई सरकार सोच-समझकर यह कदम उठा रही होगी। जब देश में सिर्फ एक ही बंगाल है, तो पश्चिम शब्द हटाने से अच्छा ही होगा। पेंटर समीर आइच ने उदाहरण देते हुए कहा कि कि पहले भी कई शहरों के नाम बदले गए हैं। कई राज्यों की राजधानी के नाम भी बदले गए हैं। कलकत्ता से कोलकाता, बंबई से मुंबई, मद्रास की जगह चेन्नई..। राज्यों में उड़ीसा का नाम बदलकर ओड़िसा किया गया, फिर पश्चिम बंगाल का नाम में कोई हर्ज नहीं।