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शनिवार, 30 अप्रैल 2011

अक्षय से हार गई प्रियंका

अक्षय से हार गई प्रियंका


प्रियंका चोपड़ा ने आखिर मान ही लिया कि अक्षय कुमार उनसे बेहतर हैं। उन्होंने कुबूल किया है कि खतरों से खेलने का हुनर जितना अच्छा अक्षय को है, उतना अच्छा मुझे नहीं है। दरअसल, पिछले वर्ष शो खतरों के खिलाड़ी का संचालन करने वाली प्रियंका के हाथ से इस बार शो के नए सीजन का संचालन करने का मौका अक्षय ने छीन लिया है। अक्षय से बाजी हारने के बाद प्रियंका इन दिनों अपने इस को-आर्टिस्ट की तारीफ में कसीदे पढ़ने लगी हैं। उन्होंने यह भी कहा, स्टंट से जुड़ी कोई भी चीज हो, उससे अक्षय का जुड़ना बिल्कुल सही है। मैंने खतरों के खिलाड़ी के पहले दो सीजन देखे थे, जिसे अक्षय ने होस्ट किया था। वे जानते हैं कि किस तरह डर पर काबू पाने के लिए प्रतिभागी का हौसला बढ़ाना है। जब मैंने उनके साथ अंदाज और ऐतराज फिल्म की थी, तब उन्होंने मुझे भी हिम्मत और हौसला बनाए रखने के लिए प्रेरित किया था। शो खतरों के खिलाड़ी के नए सीजन के लिए उन्हें मैं ऑल द बेस्ट कहती हूं। हालांकि प्रियंका यह बताना नहीं भूलती कि वे इस समय कोई टीवी शो नहीं कर सकतीं, क्योंकि फिल्मों की शूटिंग में वे काफी बिजी हैं। वे बताती हैं, अभी मेरे हाथ में पांच फिल्में हैं। बर्फी और अग्निपथ की शूटिंग चल रही है। डॉन 2 की शूटिंग अभी खत्म हुई है। जल्द ही कृष 2 और जनम-जनम का साथ है हमारा तुम्हारा की शूटिंग शुरू करूंगी। मैं इस समय टीवी शो क्या, एक दिन की छुट्टी के बारे में भी नहीं सोच सकती।

डर व पक्षपात के बिना काम करे सीबीआई

डर व पक्षपात के बिना काम करे सीबीआई



नई दिल्ली। केंद्रीय जांच ब्यूरो [सीबीआई] को बेकसूरों को निशाना नहीं बनाने की नसीहत देते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शनिवार को कहा कि जांच एजेंसी को किसी डर और पक्षपात के बिना काम करना चाहिए। दोषियों के खिलाफ उनके पदों की परवाह किए बिना मामला दर्ज करना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बड़े लोगों से जुड़े मामलों की जांच में सीबीआई अधिकारियों को कड़ी कसौटी पर उतरना पड़ता है। एजेंसी के नए मुख्यालय का यहां उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सीबीआई की जांच बिना किसी वैरभाव, निर्दोषों को प्रताड़ित किए बिना और बेकसूरों को निशाना बनाए बिना होनी चाहिए।

मनमोहन ने कहा कि सीबीआई को बिना किसी भय और बिना किसी पक्षपात के काम करना चाहिए तथा पदों की परवाह किए बिना उन सबके खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए जो दोषी हैं। जो भी देश के कानून का उल्लंघन करे चाहे वह शक्तिशाली हो उसके खिलाफ मामला दर्ज होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सीबीआई ने अन्य जांच एजेंसियों के लिए अनुकरण का एक मानदंड स्थापित किया है लेकिन सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार इस प्रमुख जांच एजेंसी के लिए जरूरी श्रमशक्ति, वित्तीय मदद और प्रौद्योगिकी मुहैया कराने के लिए कटिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने सीबीआई के लिए 71 अतिरिक्त विशेष अदालतों के गठन का फैसला किया है जिनमें से 64 को मूंजरी मिल गई है लेकिन अभी केवल 16 काम कर रही हैं।

 मनमोहन ने कहा कि पिछले सालों में सीबीआई देश की प्रमुख जांच एजेंसी बनकर उभरी है और सीबीआई को जांच सौंपने के लिए काफी जोर रहता है। उन्होंने 186 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित सीबीआई के मुख्यालय की शानदार नई इमारत का जिक्र आधुनिक कला और हरित इमारत के रूप में किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इस नई इमारत में आप सब अनुकूल और सहज माहौल में काम कर सकेंगे।

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

पूछताछ के बाद कलमाड़ी गिरफ्तार

पूछताछ के बाद कलमाड़ी गिरफ्तार




नई दिल्ली। वर्ष 2009 में लंदन में हुई क्वीन्स बैटन रिले [क्यूबीआर] के आयोजन में कथित अनियमितताओं को लेकर सीबीआई ने सोमवार को सुरेश कलमाड़ी से पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया है।

सीबीआई ने राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से हटाए गए कलमाड़ी से कुछ नए मुद्दों पर स्पष्टीकरण के लिए पेश होने को कहा था जो कि क्यूबीआर घोटाले के सिलसिले में एजेंसी के अधिकारियों की लंदन यात्रा के दौरान सामने आए।

कलमाड़ी ने इससे पहले अपनी विदेश यात्रा का हवाला देते हुए सीबीआई के समक्ष पेश होने में असमर्थता जताई थी। उन्होंने कहा था कि वह 19 अप्रैल के बाद ही घर वापसी करेंगे। लेकिन विदेश यात्रा से लौटने के बाद भी वह सीबीआई के समक्ष पेश नहीं हुए और उन्होंने कहा कि वह अब भी दिल्ली में नहीं हैं।

सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2009 में क्यूबीआर के दौरान एएम फिल्म्स और एएम कार एंड वैन हायर लिमिटेड से सौदे में कथित अनियमितता से जुड़े मामले में दो सदस्यीय दल की लंदन यात्रा के दौरान कुछ नए तथ्य जुटाए गए थे। इस दल ने लंदन में रहने वाले दोनों कंपनियों के मालिक आशीष पटेल से बातचीत की, जिसने कथित सौदे के संबंध में जानकारी और दस्तावेज मुहैया कराए।

लंदन की एएम कार एंड वैन हायर कंपनी से 2009 में क्यूबीआर के दौरान अतिथियों व आयोजन समिति के सदस्यों के लिए टैक्सी जैसी सेवाएं ली गई थीं। एएम फिल्मस को आयोजन के दृश्य उपलब्ध कराने के लिए अनुबंध किया गया।

सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ने कथित तौर पर कलमाड़ी की मौन स्वीकृति पर दोनों कंपनियों को किए गए भुगतान की जाच के लिए अतिरिक्त निदेशक वी के गुप्ता व डीआईजी एस के पलसानिया को लंदन भेजा था।

सीबीआई अब कलमाड़ी से दोनों कंपनियों के साथ आर्थिक लेनदेन के बारे में ताजा जानकारी जुटानी चाहती है। राष्ट्रमंडल खेल आयोजन से जुड़े घोटालों में पूछताछ के लिए कलमाड़ी तीसरी बार सीबीआई के समक्ष पेश हुए।

 सीबीआई सूत्रों के अनुसार, कलमाड़ी के खिलाफ सीबीआई को कुछ पुख्ता सबूत मिले हैं। गिरफ्तारी की औपचारिक घोषणा शाम तक होगी। सीबीआई कल सुरेश कलमाड़ी को कोर्ट में पेश करेगी।

बुधवार, 20 अप्रैल 2011

पीएसएलवी ने तीन उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाया

पीएसएलवी ने तीन उपग्रहों को कक्षा में पहुंचाया



श्रीहरिकोटा [आध्र प्रदेश]। पिछले वर्ष दिसम्बर में जीएसएलवी की विफलता के बाद इसरो ने अपने पहले सफल मिशन के तहत भरोसेमंद पीएसएलवी रॉकेट के जरिए तीन उपग्रहों को बुधवार को कक्षा में स्थापित कर दिया।

ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान [पीएसएलवी] अपने 18वें मिशन पर यहा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 10 बजकर 12 मिनट पर प्रक्षेपित हुआ।

जैसे-जैसे रॉकेट का हर एक चरण सफल होता गया, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में मौजूद अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने तालिया बजाकर जश्न मनाया। पीएसएलवी-सी16 ने अपने प्रक्षेपण के 18 मिनट बाद तीन उपग्रहों को 822 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कक्षा में स्थापित कर दिया।

प्रक्षेपण के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र से बाहर आए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन [इसरो] के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने मिशन की सफलता की घोषणा की और इसे 'मानक प्रक्रिया के तहत' हुआ प्रक्षेपण करार दिया। प्रक्षेपण के दौरान यह यान पूरे समय अपने पथ पर ही रहा।

पीएसएलसी-सी16 अपने साथ 1,206 किलोग्राम वजनी आधुनिक पृथ्वी पर्यवेक्षण उपग्रह रिसोर्ससैट-2, भारत और रूस द्वारा तारामंडलीय और पर्यावरणीय अध्ययन के लिए निर्मित 92 किलोग्राम वजनी यूथसैट और सिंगापुर स्थित नेनयाग टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी द्वारा मानचित्रीकरण उपयोग के लिए विकसित 106 किलोग्राम वजनी एक्स-सैट ले गया है।

मिशन सफल होने की इसरो प्रमुख की घोषणा के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र में मौजूद कई वैज्ञानिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। वैज्ञानिकों ने राहत की सास ली क्योंकि पिछले वर्ष जीएसएलवी मिशन लगातार दो बार विफल हो गया था।

करीब 1,200 किलोग्राम वजनी रिसोर्ससैट-2 पाच वर्ष अंतरिक्ष में रहेगा। वह वर्ष 2003 में प्रक्षेपित रिसोर्ससैट-1 का स्थान लेगा और प्राकृतिक संसाधनों के बारे में 'मल्टीस्पेक्टरल' और 'स्पाशियल कवरेज' मुहैया कराएगा। पिछले वर्ष दिसम्बर में जीएसएलवी मिशन तब विफल हो गया था जब संचार उपग्रह जीसैट-5पी को ले जा रहे स्वदेश निर्मित जीएसएलवी-एफ06 में प्रक्षेपण के एक मिनट के भीतर ही बीच हवा में धमाका हो गया और वह बंगाल की खाड़ी में जा गिरा। जीसैट-5पी में 24 सी-बैंड और 12 विस्तारित सी-बैंड ट्रासपोंडर्स थे। रॉकेट के प्रक्षेपण पथ से भटक जाने के बाद वह समुद्र में जा गिरा था। इससे पहले अप्रैल 2010 में भी जीसैट-4 को ले जा रहा जीएसएलवी-डी3 मिशन विफल हो गया था, जिससे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को गहरा झटका लगा था।

पीएसएलवी का आज हुआ कामयाब प्रक्षेपण इस मिशन का लगातार 17वा सफल मिशन है। पीएसएलवी मिशन सिर्फ एक बार विफल हुआ था, जब यान को सितंबर 1993 में पहली बार प्रक्षेपित किया जा रहा था।

राधाकृष्णन ने कहा कि दो विदेशी उपग्रहों का प्रक्षेपण दर्शाता है कि पीएसएलवी की विश्वसनीयता को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल गई है। मिशन निदेशक पी. कुन्हीकृष्णन ने कहा कि यह पूरे इसरो समुदाय के लिए खुशी का मौका है। इसरो ने अपने साहस को साबित किया और मिशन काफी अच्छी तरह से सफल हुआ। यह देश को दोबारा आश्वस्त कराने की तरह है कि इसरो में भरोसा जताना पूरी तरह जायज है। निदेशक की इस टिप्पणी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों को उत्साह से भर दिया, जिनका जीएसएलवी की दो लगातार विफलताओं के बाद मनोबल बढ़ाए जाने की जरूरत थी।

रॉकेट के प्रक्षेपण और उसके अंतरिक्ष में पहुंचने तक मिशन नियंत्रण केंद्र में मौजूद अंतरिक्ष वैज्ञानिकों में चिंता का भाव था। अंतरिक्ष यान से उपग्रहों के अलग होने के हर चरण के सफल होने पर वैज्ञानिकों ने तालिया बजाकर जश्न मनाया।

रिसोर्ससैट-2 में एक ही प्लेटफार्म पर तीन हाई रिजॉल्यूशन कैमरे लगे हैं। ए कैमरे ऐसी तस्वीरें लेंगे जो फसलों की स्थिति के आकलन में मददगार होंगे। ए कैमरे वन कटाई की स्थिति, झीलों और जलाशयों के जल स्तर तथा हिमालय में पिघलने वाली बर्फ पर नजर रखेंगे।

इसरो अधिकारियों ने कहा कि इससे संसाधनों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर ध्यान देने के लिए जरूरी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय जानकारी एकत्रित करने में मदद मिलेगी। साथ ही, कृषि, जल संसाधन, ग्रामीण विकास, जैविक संसाधन और भौगोलिक संभावनाओं से जुड़े विशिष्ट क्षेत्रों में निगरानी भी हो सकेगी। इस उपग्रह से मिलने वाली जानकारी आपदा प्रबंधन तथा अन्य संबंधित गतिविधियों में मददगार साबित होगी।

च्च्च, मध्यम और तीक्ष्ण रिजॉल्यूशन वाले तीन कैमरे के साथ ही रिसोर्ससैट-2 में दो 'सॉलिट स्टेट रिकॉर्डर' हैं। ऐसे प्रत्एक रिकॉर्डर की तस्वीरें कैद करने की क्षमता 200 जीबी की है। इन तस्वीरों को पृथ्वी पर मौजूद केंद्र हासिल कर सकेंगे। इस उपग्रह में कनाडा के 'कॉमडेव' द्वारा निर्मित स्वचलित पहचान प्रणाली भी मौजूद है। यह वीएचएफ बैंड की जहाज निगरानी प्रणाली है ताकि पोतों के स्थान, गति तथा अन्य तरह की जानकारी हासिल की जा सके।

संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने इस सफल प्रक्षेपण को ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि वैज्ञानिक इस तरह के अधिक प्रयास करें, इसके लिए प्रधानमंत्री तथा सरकार उनके साथ है।

पीएसएलवी की सफलता के पीछे कड़ी मेहनत

-देश के धु्रवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान [पीएसएलवी] ने अपनी सफलता की कहानी दोहराई है, जिसके पीछे वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत छिपी है। पीएसएलवी का यह लगातार 17वा सफल मिशन है जिसके तहत श्रीहरिकोटा से रिमोट सेंसिंग उपग्रह रिसोर्ससैट-2 को प्रक्षेपित किया गया है।

पीएसएलवी-सी16 के साथ दो नैनो उपग्रह भी प्रक्षेपित किए गए हैं। इस सफल प्रक्षेपण ने अंतरिक्ष क्षेत्र के अरबों डॉलर के वैश्विक बाजार में भारत की व्यावसायिक क्षमताओं को एक बार फिर साबित कर दिया है।

यह मिशन सिर्फ एक बार विफल हुआ था जब सबसे पहले पीएसएलवी-डी। को 20 सितंबर 1993 को प्रक्षेपित किया गया था। इसके बाद से यह मिशन हर बार सफल ही रहा है।

वर्ष 1994 से पीएसएलवी को इसरो का तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र विकसित कर रहा है। पीएसएलवी के जरिए 44 उपग्रह प्रक्षेपित हो चुके हैं, जिनमें से 25 विदेशी उपग्रह थे। पीएसएलवी ने जो अहम प्रक्षेपण किए हैं, उनमें भारत का चंद्र अभियान 'चंद्रयान-1' शामिल है जिसे अक्तूबर 2008 में भेजा गया था। इसके अलावा कार्टोसैट और रिसोर्ससैट-1 भी अहम प्रक्षेपणों में शामिल हैं।

मानक पीएसएलवी 44 मीटर लंबा होता है और इसका वजन 295 टन होता है। यह अपने साथ 1,600 किलोग्राम वजनी उपग्रह ले जा सकता है और उन्हें सौर समकालिक धु्रवीय कक्षा में 620 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित कर सकता है। पीएसएलवी भू-समकालिक स्थानातरण कक्षा में भी 1,050 किलोग्राम वजनी उपग्रह स्थापित कर सकता है।

इसरो ने कहा कि पीएसएलवी ऐसा परिवर्तनशील यान बन गया है जो धु्रवीय सौर समकालिक कक्षा, निम्न पृथ्वी कक्षा और समकालिक स्थानातरण कक्षा में कई उपग्रहों को स्थापित कर सकता है। इसमें चार चरण होते हैं और यह ठोस तथा तरल संचालन प्रणाली का बारी-बारी से इस्तेमाल करता है।

विविध प्रकृति की बनावट के साथ पीएसएलवी ने एक ही प्रक्षेपण में कई पेलोड और कई मिशन को साथ ले जाने की क्षमता साबित कर दी है।

पीएसएलवी मिशन से जुड़े घटनाक्रम इस प्रकार हैं -

अंतरिक्ष उपग्रह तिथि परिणाम

पीएसएलवी-डी1 आईआरएस-1ई

20 सितंबर 1993 विफल

पीएसएलवी-डी2 आईआरएस-पी2 1 5 अक्तूबर 1994 सफल

पीएसएलवी-डी3 आईआरएस-पी3 2 1 मार्च 1996 सफल

पीएसएलवी-सी1 आईआरएस-1डी 29 सितंबर 1997 सफल

पीएसएलवी-सी1 ओशियनसैट

और दो अन्य उपग्रह

26 मई 1999 सफल

पीएसएलवी-सी3 टीईएस

22 अक्तूबर 2001 सफल

पीएसएलवी-सी4 कल्पना-1 12 सितंबर 2002 सफल

पीएसएलवी-सी5 रिसोर्ससैट-1 17 अक्तूबर 2003 सफल

पीएसएलवी-सी6 कार्टोसैट-1 और हैमसैट पाच मई 2005 सफल

पीएसएलवी-सी7 कार्टोसैट-2

और तीन अन्य उपग्रह

10 जनवरी 2007 सफल

पीएसएलवी-सी8 एजाइल

23 अप्रैल 2007 सफल

पीएसएलवी-सी10 टीईसीएसएएआर 23 जनवरी 2008 सफल

पीएसएलवी-सी9 कार्टोसैट - 2ए

आईएमएस-1 और आठ नैनो उपग्रह

28 अप्रैल 2008 सफल

पीएसएलवी-सी11 चंद्रयान-1 22 अक्तूबर 2008 सफल

पीएसएलवी-सी12 आरआईसैट-2

और एएनयूसैट

20 अप्रैल 2009 सफल

पीएसएलवी-सी14 ओशियनसैट-2

और छह अन्य उपग्रह

23 सितंबर 2009 सफल

पीएसएलवी-सी15 कार्टोसैट-2बी

और चार अन्य उपग्रह

12 जुलाई 2010 सफल

पीएसएलवी-सी16 रिसोर्ससैट-2

और दो अन्य उपग्रह

 20 अप्रैल 2011 सफल

करीना की वफादारी

करीना की वफादारी


मुंबई। करीना कपूर कई उत्पादों की ब्रांड एंबेसडर हैं। इनका प्रचार करने के साथ-साथ वो निजी जिंदगी में इनके इस्तेमाल को भी अहमियत देती हैं। इन दिनों एक जीरो साइज नेटबुक (मिनी लैपटॉप) के विज्ञापन में छाई करीना खुद उसकी दीवानी हैं। सूत्रों के मुताबिक उन्हें मिनी लैपटॉप बहुत पसंद है। खास बात यह है कि उनके पास हर रंग का एक मिनी लैपटॉप हैं, जैसा कि विज्ञापन में दिखाया जाता है। शूटिंग के दौरान वो उसे ले जाना नहीं भूलतीं। उन्हें उस पर काम करते भी देखा जा सकता है। निर्माता अतुल अग्निहोत्री की आगामी फिल्म बॉडीगार्ड में उन्होंने मैनेजमेंट छात्रा का किरदार निभाया है, जो अपनी पढ़ाई लैपटॉप पर करती है। इसके लिए हर दृश्य में उन्हें एक लैपटॉप की जरूरत हैं। जब उन्हें नोटबुक या किसी और कंपनी का लैपटॉप दिया गया तो उन्होंने शूटिंग करने से इंकार कर दिया। यही नहीं उन्होंने जीरो साइज के नेटबुक को लेने के लिए निर्माता पर दबाव डाला। वाकई वफादारी निभाना कोई करीना से सीखे।

रविवार, 17 अप्रैल 2011

3 थे भाई: लचर भाषा और कल्पना

3 थे भाई: लचर भाषा और कल्पना




मुख्य कलाकार : ओमपुरी, श्रेयस तलपडे, दीपक डोबरियाल, रागिनी खन्ना, योगराज सिंह

निर्देशक : मृगदीप सिंह लांबा

तकनीकी टीम : निर्माता- राकेश ओमप्रकाश मेहरा, गीत- गुलजार, संगीत- दलेर मेहदी, रंजीत बारोट, सुखविंदर सिंह, रजत ढोलकिया

किसी फिल्म में रोमांस का दबाव नहीं हो तो थोड़ी अलग उम्मीद बंधती है। मृगदीप सिंह लांबा की 3 थे भाई तीन झगड़ालु भाइयों की कहानी है, जिन्हें दादाजी अपनी वसीयत की पेंच में उलझाकर मिला देते हैं। किसी नीति कथा की तरह उद्घाटित होती कथानक रोचक है, लेकिन भाषा, कल्पना और बजट की कमी से फिल्म मनोरंजक नहीं हो पाई है।

चिस्की, हैप्पी और फैंसी तीन भाई है। तीनों के माता-पिता नहीं हैं। उन्हें दादाजी ने पाला है। दादाजी की परवरिश और प्रेम के बावजूद तीनों भाई अलग-अलग राह पर निकल पड़ते हैं। उनमें नहीं निभती है। दादा जी एक ऐसी वसीयत कर जाते हैं, जिसकी शर्तो को पूरी करते समय तीनों भाइयों को अपनी गलतियों का एहसास होता है। उनमें भाईचारा पनपता है और फिल्म खत्म होती है। नैतिकता और पारिवारिक मूल्यों का पाठ पढ़ाती यह फिल्म कई स्तरों पर कमजोर है।

तीनों भाइयों में हैप्पी की भूमिका निभा रहे दीपक डोबरियाल अपनी भूमिका को लेकर केवल संजीदा हैं। उनकी ईमानदारी साफ नजर आती है। ओम पुरी लंबे अनुभव और निरंतर कामयाबी के बाद अब थक से गए हैं। उनकी लापरवाही झलकने लगती है। श्रेयस तलपडे को मिमिक्री का ऐसा छूत लगा है कि वे अपने किरदारों को इससे बचा ही नहीं पाते। यह उनकी सीमा बनती जा रही है। ऊपर से 3 थे भाई में भाषा और संवाद की बारीकियों पर ध्यान नहीं दिया गया। श्रेयस की एंट्री पंजाबी लहजे के संवाद से होती है और फिर वे दृश्य बदलने के साथ लहजा बदलते जाते हैं। संवादों का सरल होना गुण है, लेकिन हर भाव का सरलीकरण हो जाए तो नाटकीयता और प्रभाव पर असर होता है। आखिर हम एक फिल्म देख रहे हैं। दृश्य और भाव के अनुरूप भाषा भी सजी और समृद्ध होनी चाहिए। फिल्म का थीम गीत 3 थे भाई बार-बार तीनों भाइयों के स्वभाव की याद दिलाता है, लेकिन कुछ समय के बाद वही गीत खटकने लगता है।

3 थे भाई में अपेक्षित गति और विस्तार नहीं है। एक कमरे में आ जाने के बाद तीनों भाई बंध जाते हैं। उनके हाथ-पांव बंधना, उनका गिरना-पड़ना और एक-दूसरे को पछाड़ना.. सारी कोशिशों के बवाजूद हंसी की लहर नहीं उठती। बर्फबारी के दृश्यों में लॉजिक नहीं है। घुटने भर जमी बर्फ अगले ही दिन कैसे पिघल जाती है? और हां, अंगवस्त्रों एवं गैस की बीमारी को लेकर गढ़े गए दृश्य फूहड़ और फिजूल हैं। फूहड़ फैशन चल गया है.. किसी के पा.. पर हंसने का।

मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

कांग्रेस संदेश ने किया शहीदों की जाति का उल्लेख

कांग्रेस संदेश ने किया शहीदों की जाति का उल्लेख



नई दिल्ली। आजादी की लड़ाई लड़ते हुए शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे क्रांतिकारियों ने शायद कभी सोचा भी नहीं होगा कि आजाद भारत में किसी दिन उन्हें जाति के खांचे में फिट कर उनकी पहचान बताई जाएगी। लेकिन स्वतंत्रता आंदोलन की झंडाबरदार रही कांग्रेस पार्टी ने ऐसा किया है। पार्टी के मुखपत्र 'कांग्रेस संदेश' के मार्च माह के अंक में इन शहीदों की जाति का उल्लेख करते हुए इनकी पहचान बताई गई है। भाजपा ने इसे शहीदों का अपमान बताते हुए कहा है कि कांग्रेस देश से माफी मांगे।

हालांकि कांग्रेस को इसमें कुछ भी अनुचित नहीं दिख रहा है। मुखपत्र के संपादक अनिल शास्त्री ने कहा, 'इसको तूल नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि इनकी जाति का उल्लेख करना जीवन वृतांत का हिस्सा है।'

कांग्रेस संदेश के मार्च के अंक में शहीद भगत सिंह का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि वह जाट सिख परिवार में जन्मे थे। जबकि राजगुरु के बारे में मुखपत्र कहता है कि वह महाराष्ट्र के भारतीय क्रांतिकारी थे और देशस्थ ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते थे। राजगुरू का जन्म पुणे के निकट खेड़ नामक स्थान पर हुआ था।

शहीदों की जाति के उल्लेख के मुद्दे को भाजपा ने फौरन लपक लिया। पार्टी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि यह राष्ट्र के नायकों का अपमान है और ऐसा पहली बार नहीं है जब कांग्रेस और उसकी सरकार ने राष्ट्र के महानायकों का अपमान किया हो। नकवी के मुताबिक, ''विभिन्न पुस्तकों के प्रकाशनों के जरिए कांग्रेस पहले भी कई बार ऐसा करती आई है। लेकिन अब वह सारी सीमाएं लांघ गई है। कांग्रेस पार्टी को इसके लिए देश से माफी मांगनी चाहिए।''

विवाद गहराने पर कांग्रेस संदेश पत्रिका के संपादक अनिल शास्त्री ने कहा कि इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। स्कूल और कालेज में जब हमें इतिहास पढ़ाया जाता है और जब महात्मा गांधी का उल्लेख होता है तो यह बताया जाता है कि वह गुजराती बनिया परिवार में जन्मे थे। भाजपा बिना बात का मुद्दा बना रही है।

जापान का परमाणु संकट चेर्नोबिल जितना खतरनाक

जापान का परमाणु संकट चेर्नोबिल जितना खतरनाक


टोक्यो। जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में विकिरण का स्तर अब तक के सबसे खतरनाक परमाणु हादसे चेर्नोबिल के बराबर पहुंच चुका है। फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में मंगलवार को इमरजेंसी का स्तर बढ़ाकर लेवल-7 कर दिया गया।

यही स्तर 1986 में यूक्रेन के चेर्नोबिल के परमाणु हादसे के समय नियत किया गया था। हालांकि परमाणु विशेषज्ञों ने कहा है कि हम विकिरण की मात्रा का सही आकलन करने के बाद ही खतरे के वास्तकविक स्तर के बारे में बता पाएंगे।

जापान की परमाणु सुरक्षा एजेंसी के प्रवक्ता हिदेहिको निशियामा ने कहा, 'चेर्नोबिल परमाणु दुर्घटना और फुकुशिमा के हालात में काफी अंतर है। चेर्नोबिल रिएक्टर फट गया था और उसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। उसमें विकिरण के रिसाव की वजह रिएक्टर में धमाका था। हालांकि फुकुशिमा में भी रिएक्टर की इमारत की छत धमाके में गिर गई थी, लेकिन रिसाव के बावजूद एक भी रिएक्टर ध्वस्त नहीं हुआ। फुकुशिमा में चेर्नोबिल के मुकाबले केवल दस प्रतिशत ही रिसाव हुआ है।'

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पैमाने के हिसाब से फुकुशिमा में अभी लेवल पांच की इमरजेंसी है, मगर सुरक्षा की दृष्टि से इसे लेवल-7 कर दिया गया है। अभी तक हम यह नहीं पता लगा पाए हैं कि रिसाव कितना हो रहा है।

सोमवार को जापान के परमाणु आयोग ने कहा था कि फुकुशिमा में अब प्रति घंटा दस हजार टेराबेक्वेल्स [विकरण की रफ्तार मापने इकाई] रेडियोधर्मी पदार्थ, आयोडीन-131 रिस रहा है।

मुख्य कैबिनेट सचिव युकियो इदानो के अनुसार, विकिरण के चलते अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है, लेकिन फुकुशिमा रिएक्टर में इस संकट से जूझने वाले 21 कर्मियों में विकिरण के कुछ लक्षण देखे गए हैं।

भूकंप और धमाका:-

जापान में मंगलवार को आए 6.3 के भूकंप के बाद फुकुशिमा के बंद पड़े रिएक्टर नंबर चार में धमाका हुआ। इसमें किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। इंजीनियर इस पर काबू पाने में लगे हैं। भूकंप के बाद नारिता एयरपोर्ट के रनवे को भी बंद कर दिया गया।

चेर्नोबिल की विभीषिका

1986 में 26 अप्रैल को दुनिया का सबसे बड़ा परमाणु हादसा हुआ। आधी रात को यूक्रेन स्थित चेर्नोबिल पावर प्लांट में हुए दो धमाकों ने रिएक्टर की छत को उड़ा दिया और रेडियोधर्मी पदार्थ बहने गला। छत फटने के कारण बाहरी हवा अंदर आने लगी और रिएक्टर के अंदर स्थित कार्बन मोनाक्साइड प्रज्ज्वलित हो गया। इसके फलस्वरूप आग लग गई जो कि नौ दिन तक धधकती रही। इस घटना में निकलने वाली रेडियोधर्मी किरणें हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए एटम बम से सौ गुना अधिक थीं। इस हादसे में 32 लोगों की मौत हो गई और 38 अगले कुछ महीनों में खतरनाक विकरण के प्रभाव से मर गए।

क्या है परमाणु विकिरण के खतरे का स्केल?

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान पर गिराए गए परमाणु बम ने पहली बार दुनिया को परमाणु शक्ति से रू-ब-रू कराया। इसे विश्व में परमाणु युग की शुरुआत भी कह सकते हैं।

इसके बाद दुनिया भर में परमाणु शक्ति के प्रयोग का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन परमाणु की बेपनाह ताकत को काबू करने में हुई हल्की सी चूक के भयानक नतीजे सामने आने लगे।

1990 में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी [आइएईए] ने परमाणु विकिरण के खतरे को नापने के लिए 'इंटरनेशनल न्यूक्लियर एंड रेडियोलॉजिकल इवेंट स्केल' तैयार किया। स्केल में परमाणु संयंत्रों से होने वाली दुर्घटनाओं को उनके संभावित खतरे के आधार पर शून्य से लेकर सात स्तर तक विभाजित किया गया। सभी स्तर पिछले स्तर से 10 गुना अधिक खतरनाक होते है।

क्या हैं स्तर:-

स्तर-0 [परमाणु विचलन]: इस स्तर पर परमाणु विकिरण से नुकसान का खतरा शून्य। अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यक्ता नहीं।

स्तर-1 [अनियमित]: इस स्तर पर वैधानिक वार्षिक सीमा से अधिक रिसाव होने पर आम आदमी में विकिरण का खतरा होता है। जबकि संयंत्र कर्मचारियों के लिए सामान्य माना जाता है।

स्तर-2 [घटना]: आम लोगों में 10 मिलिसीवियटर््स से अधिक विकिरण का खतरा। संयंत्र कर्मचारियों के लिए भी जोखिम। स्वास्थ्य के लिए अधिक चिंताजनक नहीं।

स्तर-3 [गंभीर घटना]: स्वास्थ्य के लिए चिंताजनक, विकिरण के संपर्क में रहने से बाहरी शरीर के जलने का खतरा।

स्तर-4 [स्थानीय प्रभाव वाली दुर्घटना]: विकिरण के कारण जान जाने की आशंका। सुरक्षा उपायों की जरूरत।

स्तर-5 [व्यापक परिणाम वाली दुर्घटना]: अधिक विकिरण के कारण लोगों के मारे जाने का खतरा ज्यादा। अधिक सुरक्षा उपायों की जरूरत।

स्तर-6 [गंभीर दुर्घटना]: अत्यधिक विकिरण का खतरा। रोकने के निर्णायक कदम उठाने की आवश्यकता।

स्तर-7 [अति गंभीर दुर्घटना] : व्यापक स्वास्थ्य और पर्यावरण दुष्प्रभाव। निर्णायक और विस्तृत सुरक्षा उपायों की जरूरत।

रविवार, 10 अप्रैल 2011

अन्ना हजारे से कोई विवाद नहीं: रामदेव

अन्ना हजारे से कोई विवाद नहीं: रामदेव



हरिद्वार। लोकपाल विधेयक के लिए नव गठित संयुक्त समिति में भाई भतीजावाद का मुद्दा उठाने के बाद योग गुरू रामदेव ने रविवार को कहा कि समिति में पिता पुत्र शाति भूषण और प्रशात भूषण को शामिल किए जाने से उन्हें कोई परेशानी नहीं है।

उन्होंने कहा कि शाति एवं प्रशात भूषण को समिति में शामिल किए जाने से मुझे कोई समस्या नहीं है। हमें इस विषय पर अन्ना हजारे के फैसले पर भरोसा है। मैंने सिर्फ यही कहा था कि कार्यकर्ता किरन बेदी को समिति में देखना चाहते थे।

रामदेव ने कहा कि भाई भतीजावाद का मुद्दा मीडिया ने उठाया, मैंने नहीं। जब इस बारे में मुझसे पूछा गया, तब मैंने कहा कि 'जन लोकपाल विधेयक' आदोलन में हमने भूमिका निभाई है। हमें समिति की संरचना के बारे में कुछ नहीं कहना है।

गौरतलब है कि रामदेव ने कहा था कि इस समिति में भाई भतीजावाद क्यों है? क्यों पिता और पुत्र दोनों को इस समिति में शामिल किया गया?

पूर्व आईपीएस अधिकारी किरन बेदी ने कहा है कि वह इस समिति में सदस्य नहीं बनना चाहती थी। किरन ने कहा कि यह एक 'ए प्लस' टीम है। इस समिति के सदस्य सिर्फ वही लोग हो सकते हैं जो सरकार के कामकाज को जानते हैं और वे एक ऐसे कानून को तैयार करने में मदद कर सकते हैं जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के सभी पहलुओं पर गौर करे।

इस बीच, हजारे ने कहा कि वह योग गुरू से बात करेंगे क्योंकि इस पड़ाव पर यह अहम है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में देश एकजुट रहे। उन्होंने कहा कि मैं रामदेव से अनुरोध करूंगा कि वह ऐसा नहीं सोचें। हम सभी को देश को आगे ले जाना है। उनके अंदर देश के प्रति प्रेम है। मैं उनसे कहूंगा कि वह सिर्फ देश को ध्यान में रखें।

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

लाइफ ने टर्न लिया: राणा दगुबाटी

लाइफ ने टर्न लिया: राणा दगुबाटी



छह फुट तीन इंच लंबे राणा दगुबाटी आजकल बिपाशा बसु से प्रेम संबंध को लेकर चर्चा में हैं। वे दक्षिण भारत के एक बड़े फिल्म घराने से हैं। पिछले साल फरवरी में प्रदर्शित हुई अपनी पहली फिल्म लीडर से वे तेलुगू सिनेमा के स्टार बन गए। रोहन सिप्पी की दम मारो दम उनकी पहली हिंदी फिल्म है। पिछले दिनों राणा ने हम से बातचीत की। प्रस्तुत हैं अंश..

पहली फिल्म से आप दक्षिण भारत में स्टार बन गए। हिंदी फिल्म साइन करते वक्त किसी तरह का दबाव महसूस कर रहे थे?

दम मारो दम मैंने लीडर की रिलीज के पहले साइन की थी। दिसंबर 2009 में लीडर का पहला प्रोमो आया था। रोहन सिप्पी ने प्रोमो देखा और मुझे फोन किया। उन्होंने कहा कि मैंने एक स्क्रिप्ट लिखी है। आप सुनिए और अगर पसंद आती है, तो हम साथ काम करेंगे। उन्होंने दम मारो दम का फ‌र्स्ट ड्राफ्ट मेरे पास भेजा। मुझे स्क्रिप्ट पसंद आई। उसके बाद मेरी लाइफ ने खूबसूरत टर्न लिया।

आप फिल्म घराने में पैदा हुए, तो क्या बचपन से तय था कि ऐक्टर ही बनेंगे?

मैं विजुअल इफेक्ट सुपरवाइजर था। मैंने स्प्रिट मीडिया कंपनी शुरू की थी। बाद में कंपनी प्राइम फोकस में मर्ज हो गई। फिर मैंने दो तेलुगू फिल्में प्रोड्यूस कीं, जिनमें से एक फिल्म को नेशनल अवॉर्ड मिला। उसके बाद मैं सुरेश प्रोडक्शन में लाइन प्रोड्यूसर था। बाद में मैंने खुद को डिस्कवर किया। यह मेरी तीसरी जॉब है।

ऐक्टर बनने के लिए कोई तैयारी भी की?

बैरी जॉन के एक्टिंग स्कूल में मैंने एक साल ट्रेनिंग ली। उसके बाद स्टंट सीखने के लिए अमेरिका गया। मेरी हिंदी अच्छी नहीं है। दम मारो दम की शूटिंग से पहले एक महीने हमने रोहन के साथ वर्कशॉप की। मैंने शूटिंग से डेढ़ महीने पहले फिल्म की स्क्रिप्ट मांग ली थी। मुझे हिंदी पर काम करना पड़ा।

हिंदी फिल्मों से आपका परिचय कब हुआ? क्या पहली फिल्म याद है?

बचपन से मैं हिंदी फिल्में देख रहा हूं। हैदराबाद में हिंदी फिल्में देखी जाती हैं। मैंने बच्चन साहब की फिल्में देखी हैं। तमिल और तेलुगू फिल्में मैंने हिंदी फिल्मों की तुलना में अधिक देखी हैं।

फिल्म फैमिली से होने का सबसे बड़ा लाभ क्या मिला?

मुझे लगा कि मैं बचपन से एक्टिंग स्कूल में पढ़ रहा हूं। फिल्मी फैमिली से हूं, तो इंडस्ट्री को करीब से देखा। मैंने फिल्म मेकिंग के टेक्निकल पहलू के बारे में कम उम्र में जान लिया था। मैं इसके अलावा और कुछ नहीं जानता।

दम मारो दम में आप डीजे जोकी का किरदार निभा रहे हैं। जोकी किस तरह का लड़का है?

वह बहुत शांत किस्म का है। वह चीजों को घटते हुए देखता है, लेकिन कुछ बोलता नहीं है। जिसके कारण उसे पसंद करने वाले लोग धीरे-धीरे उससे अलग हो जाते हैं। फिल्म में तीन कहानियां हैं। एक पुलिस अफसर, एक स्टूडेंट और एक आरजे जोकी की।

इसमें बिपाशा बसु आपके अपोजिट हैं। उनके साथ प्रेम संबंध की चर्चा क्या फिल्म के प्रचार का हिस्सा है?

बिपाशा स्वीट हैं। मैं न्यूकमर हूं। उन्होंने मुझे हमेशा सपोर्ट किया। मैं उनकी इज्जत करता हूं। उनके साथ लिंक अप की खबरें गलत हैं। हो सकता है कि हमारे लिंक अप की खबर प्रचार का हिस्सा हो, लेकिन मुझे नहीं लगता कि सिर्फ इसके कारण कोई फिल्म देखने आएगा।

भविष्य में हिंदी और तेलुगू फिल्मों में से आप किसे प्राथमिकता देंगे?

मैं अलग-अलग भाषा की फिल्में करना चाहता हूं। मैं खुश हूं कि इतनी कम उम्र में मुझे अलग-अलग सिनेमा का हिस्सा बनने का मौका मिल रहा है। दम मारो दम की स्टोरी टेलिंग डिफरेंट है। हमारे यहां ऐसी फिल्में नहीं बनतीं और हिंदी में भी यह एक नया प्रयोग है।

हजारे की मागों पर सरकार ने अपनाया अड़ियल रुख

हजारे की मागों पर सरकार ने अपनाया अड़ियल रुख


नई दिल्ली। सरकार ने प्रभावी लोकपाल विधेयक के संबंध में अन्ना हजारे की मागों पर यह कहकर अड़ियल रुख अपना लिया है कि वह संयुक्त मसौदा समिति की अध्यक्षता किसी गैर सरकारी व्यक्ति को देने और आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की माग स्वीकार नहीं कर सकती।

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की शुक्रवार की सुबह कार्यकर्ताओं स्वामी अग्निवेश और अरविन्द केजरीवाल के साथ बैठक निर्धारित थी, लेकिन यह नहीं हो पाई क्योंकि दोनों पक्षों ने कहा कि वे एक-दूसरे का इंतजार कर रहे हैं। बैठक अब शाम छह बजे होगी।

सिब्बल ने कहा कि लोकपाल विधेयक पर संयुक्त मसौदा समिति में सिर्फ सरकारी अधिकारी शामिल होंगे और कोई भी मंत्री इसका हिस्सा नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि संयुक्त समिति के गठन पर आधिकारिक अधिसूचना की कोई संभावना नहीं है, लेकिन हमने उन्हें बताया है कि हम कानून मंत्रालय और प्रेस नोट के जरिए एक आधिकारिक पत्र देना चाहते हैं।

आगे क्या होगा रामा रे..

आगे क्या होगा रामा रे..



पहली फिल्म से सफलता का स्वाद चखने वाले अभिनेता-अभिनेत्रियों के समक्ष दूसरी फिल्म साइन करना बहुत बड़ी चुनौती होती है। वन फिल्म वंडर बनने का भय उन्हें लगा रहता है। पिछले साल की सनसनी रणवीर सिंह, सोनाक्षी सिन्हा, अली जफर, रजत बरमेचा की दूसरी फिल्म कौन सी होगी और उसमें वे किस अंदाज में होंगे? एक नजर..।

चकमा देंगे रणवीर : फिल्म बैंड बाजा बारात से रातोंरात स्टार बने रणवीर सिंह की दूसरी फिल्म होगी लेडीज वर्सेज रिकी बहल। इसमें वे कॉन आर्टिस्ट रिकी बहल का रोल कर रहे हैं। इसमें रणवीर और अनुष्का शर्मा की जोड़ी को यशराज बैनर दोबारा पेश कर रहा है। इसके निर्देशन बैंड बाजा बारात वाले मनीष शर्मा हैं। अपनी दूसरी फिल्म के बारे में रणवीर उत्साह से बताते हैं, रिकी बहल लड़कियों को चकमा देकर उनके पैसे लेकर भाग जाता है। मैं खुश हूं कि बैंड बाजा बारात की टीम इसमें भी है। गौरतलब है कि लेडीज वर्सेज रिकी बहल दिसंबर में रिलीज होगी। रणवीर को यकीन है कि इस फिल्म से वे बैंड बाजा बारात की सफलता दोहराएंगे।

अली की दुल्हन : पाकिस्तान के पॉप स्टार अली जफर की पहली फिल्म तेरे बिन लादेन की सफलता के तुरंत बाद यशराज बैनर ने उन्हें साइन कर लिया। उनकी दूसरी फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन है। यह त्रिकोणीय प्रेम कहानी है। इस फिल्म में अली के साथ इमरान खान और कट्रीना कैफ हैं। अली इसमें इमरान के बड़े भाई की भूमिका में हैं। उनकी होने वाली पत्नी यानी कट्रीना से इमरान को प्यार हो जाता है। यशराज जैसे प्रतिष्ठित बैनर की दूसरी फिल्म पाकर अली को यकीन है कि उन्हें बॉक्स ऑफिस पर फिर सफलता मिलेगी। उनके अनुसार, फिल्म मेरे ब्रदर की दुल्हन रोमांटिक कॉमेडी है। मैं लकी हूं कि यशराज ने मुझे अपने प्रोडक्शन में मौका दिया। उम्मीद करता हूं कि लोगों को इसमें भी मेरा काम पसंद आएगा। गौरतलब है कि तेरे बिन लादेन फिल्म में लादेन की भूमिका निभाकर चर्चा में आए प्रद्युम्न सिंह ने भी दूसरी फिल्म साइन कर ली है। उनकी दूसरी फिल्म के सेरा सेरा के बैनर तले आ रही है जरा हटके जरा बचके।

सोनाक्षी को अक्षय का साथ : पिछले साल की नई अभिनेत्रियों में सोनाक्षी सिन्हा सबसे हॉट साबित हुई हैं। दबंग फिल्म में उनकी खूबसूरती और अभिनय की सबने तारीफ की। परिणाम यह हुआ कि उनके पास बड़े बैनर की फिल्मों के ऑफर की बाढ़ आ गई। सोनाक्षी ने जोकर, हाउसफुल 2, रेस 2, किक और कमल हासन के साथ एक फिल्म साइन की है। सोनाक्षी की मानें तो उनकी दूसरी फिल्म जोकर होगी। खास बात यह है कि जोकर थ्रीडी फिल्म है। शिरीष कुंदर निर्देशित इस फिल्म में सोनाक्षी अक्षय कुमार के साथ हैं। सोनाक्षी फिल्म के बारे में बताने से बचते हुए कहती हैं, यह न तो सर्कस के जोकर की कहानी है और न ही किसी सुपरमैन की। लोग सब्र करें। समय आने पर मैं फिल्म के बारे में भी बताऊंगी। गौरतलब है कि सोनाक्षी की तरह ही पिछले साल वीर फिल्म में सलमान खान के साथ जरीन खान ने डेब्यू किया था। जरीन दोबारा सलमान की नई फिल्म रेडी के एक आइटम सांग में नजर आएंगी।

उड़ान के रजत : रजत बरमेचा को पिछले साल की एक बड़ी खोज माना जा रहा है। उड़ान फिल्म में रोहन की भूमिका के लिए उनकी जमकर सराहना हुई। कान फिल्म समारोह में भी लोगों ने उनके काम की तारीफ की। रजत की दूसरी फिल्म का इंतजार दर्शकों को ही नहीं, बल्कि फिल्म बिरादरी के लोगों को भी उत्सुकता से है। वे कहते हैं, मुझे अभी तक कोई ऐसी स्क्रिप्ट नहीं मिली जिसके लिए मैं हां कहूं। उड़ान यदि आपकी पहली फिल्म हो, तो दूसरी फिल्म साइन करना बहुत बड़ी चुनौती होती है। हां, मैंने शैतान फिल्म में एक मेहमान भूमिका निभाई है। गौरतलब है कि बिजॉय नाम्बियार निर्देशित इस फिल्म में राजीव खंडेलवाल और कल्कि कोचलिन मुख्य भूमिका में हैं और यह मई में रिलीज होगी।

दक्षिण के कलाकार : तमिल फिल्मों के स्टार सूर्या ने रामगोपाल वर्मा की फिल्म रक्त चरित्र को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में आने के लिए चुना, तो दक्षिण भारत की फिल्मों के सुपरस्टार विक्रम ने मणिरत्नम की फिल्म रावण को, लेकिन दोनों को हिंदी फिल्म के दर्शकों ने स्वीकार नहीं किया। रक्त चरित्र और रावण असफल हो गई। विद्या बालन की चचेरी बहन प्रियमणि रावण में छोटी भूमिका में तो रक्त चरित्र में लंबे किरदार में दिखीं। विवेक ओबराय ने उनकी तुलना स्मिता पाटिल तक से की। इसके बावजूद प्रियमणि को दक्षिण लौटना पड़ा। ऐसा ही हश्र रहा तृषा और पद्मप्रिया का। दक्षिण भारतीय फिल्मों की शीर्ष अभिनेत्री तृषा की खत्र मीठा और पद्मप्रिया की स्ट्राइकर फ्लॉप हो गई। हिंदी फिल्मों में करियर संवारने का उनका सपना चकनाचूर हो गया।

सोमवार, 4 अप्रैल 2011

रतन टाटा ने माना, टेप में आवाज मेरी

रतन टाटा ने माना, टेप में आवाज मेरी




नई दिल्ली। रतन टाटा ने पीएसी में सोमवार को स्वीकार किया कि राडिया से बातचीत वाले टेप किए गए फोन में आवाज उन्हीं की है।

पीएसी ने नीरा राडिया से उन टेपों की सूची देने को कहा है जो सीबीआई ने उन्हें सुनाए थे। रतन टाटा ने स्वीकार किया कि उन्होंने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा था।

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

सादिक बाशा मौत मामले की जांच करेगी सीबीआई

सादिक बाशा मौत मामले की जांच करेगी सीबीआई




नई दिल्ली। जांच एजेंसी सीबीआई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह सादिक बाशा मौत मामले की जांच अपने हाथ लेने को तैयार है। गौरतलब है कि बाशा पूर्व केंद्रीय मंत्री और 2जी घोटाले के आरोपी ए राजा के करीबी थे। बाशा ने संदिग्ध परिस्थिति में आत्महत्या कर ली थी।

उधर, 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला मामले की सुनवाई के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता यूयू ललित को विशेष सरकारी वकील नियुक्त किया गया है।

जाच एजेंसी की ओर से हाजिर वरिष्ठ अधिवक्ता के. के. वेणुगोपाल ने न्यायमूर्ति जी. एस सिंघवी और न्यायमूर्ति ए. के. गागुली की पीठ को बताया कि सीबीआई ने बाशा की मौत के मामले में जाच का जिम्मा संभालने की इच्छा जाहिर की है।

इससे पहले, तमिलनाड़ु सरकार ने भी बाशा की मौत के मामले की सीबीआई से जाच कराने का पक्ष लिया था। पीठ ने अतिरिक्त सालिसीटर जनरल इंदिरा जयसिंह से कहा कि वह केंद्र से निर्देश लें और सीबीआई को मामला सौंपने संबंधी अधिसूचना जारी करने के बारे में चार अप्रैल तक सूचित करें।

सीबीआई ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की सुनवाई के लिए खास तौर पर गठित विशेष अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता यू यू ललित विशेष लोक अभियोजक के रूप में पेश होंगे।

न्यायालय ने जाच एजेंसी के वकील से कहा कि वह विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति संबंधी अधिसूचना के बारे में निर्देश लें और मंगलवार तक इस बारे में सूचित करें। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने बाशा की मौत के मामले की जाच सीबीआई को सौंपने की माग करती गैर-सरकारी संगठन 'सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' की अर्जी पर जाच एजेंसी से जवाब दाखिल करने को कहा था। इसी संगठन की अर्जी पर न्यायालय ने 2-जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले की सीबीआई जाच के आदेश दिए थे। बाशा से पिछले वर्ष दिसंबर में सीबीआई ने चार दफा पूछताछ की थी और उनके आधिकारिक तथा आवासीय परिसरों की तलाशी ली गई थी।

38 वर्षीय बाशा को दक्षिण चेन्नई स्थित उनके घर में 16 मार्च को संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया था। उनकी पत्नी ने दावा किया था कि बाशा ने आत्महत्या की क्योंकि वह जाच के दबाव का सामना नहीं कर पा रहे थे।

बाशा ग्रीनहाउस प्रमोटर्स के प्रबंध निदेशक थे। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि इस कंपनी ने राजा की ओर से लेनदेन किया। विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति के बारे में सीबीआई ने मंगलवार को शीर्ष न्यायालय को बताया था कि उसे इस मामले में सक्षम वकील ढूंढने में दिक्कत आ रही है क्योंकि जिन उद्योगपतियों तथा उनके अधिकारियों के इस मामले में नामजद होने की संभावना है, वे पहले ही आला वकीलों से अपने बचाव के लिए जुड़ चुके हैं।

हालाकि, वेणुगोपाल ने आज पीठ को बताया कि पूर्व में विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्ति के प्रतिच्अनिच्छा जाहिर कर चुके वरिष्ठ अधिवक्ता ललित जनहित में यह जिम्मा संभालने को तैयार हो गए हैं।

फालतू: नाच-गाना और मैसेज

फालतू: नाच-गाना और मैसेज


मुख्य कलाकार : जैकी भगनानी, पूजा गुप्ता, रितेश देशमुख, अंगद बेदी, चंदन रॉय सान्याल, अरशद वारसी।

निर्देशक : रेमो डिसूजा

तकनीकी टीम : निर्माता- वासु भगनानी, संगीत- जिगर-सचिन

रेमो डिसूजा की फिल्म में नाच-गाना है। मस्ती है। दोस्ती है। संदेश है। देश की शिक्षा व्यवस्था पर किए गए सवाल हैं। पूरा माहौल है। फिल्म पूरी गति के साथ बांधे रखती हैं। बीच-बीच में हंसी भी आ जाती है। रेमो डिसूजा अपने कंफ्यूजन के साथ कभी कहानी तो कभी कभी नाच-गाने के बीच डोलते रहते हैं। फिल्म पूरी हो जाती है। मुद्दा समझ में नहीं आता तो किरदारों के जरिए छोटी-मोटी भाषणबाजी भी हो जाती है।

कोरियोग्राफी के कमाल और युवकों के धमाल के लिहाज से फिल्म रोचक है। रेमो ने कोरियोग्राफी में कल्पनाशीलता का परिचय दिया है। क्लाइमेक्स के पहले के डांस सिक्वेंस में उन्होंने कुछ नया किया है। विषय और मुद्दे की बात करें तो लेखक-निर्देशक तय नहीं कर पाए हैं कि वे पढ़ाई में रुचि-अरुचि या ग्रेडिंग सिस्टम पर फोकस करें। कुछ समय पहले आई 3 इडियट के बाद शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाती फालतू का प्रयास बचकाना लगता है। यहां मौजूदा शिक्षा व्यवस्था के विकल्प के रूप में एक कालेज की ही कल्पना की जाती है। लेखक-निर्देशक ठीक से जानते भी नहीं कि यूनिवर्सिटी का मतलब क्या होता है? बस बोर्ड चिपका दिया है। लेखक-निर्देशक की कोरी कल्पना पर ऐसे सवाल नहीं उठाए जा सकते।

रेमो डिसूजा और चंदन राय सान्याल इस फिल्म के दो मजबूत स्तंभ हैं। उनके नृत्य संयोजन और अभिनय के दम पर ही फिल्म टिकी रहती है। चंदन ने फालतू से किरदार को भी संजीदगी से निभाया है। सहयोगी कलाकारों से फिल्म को थोड़ा सहयोग मिला है। फिल्म के मुख्य कलाकार (हीरो-हीरोइन) निराश करते हैं। नाटकीय और संवादपूर्ण दृश्यों में उनकी कमजोरी साफ उभर आती है। अरशद वारसी और रितेश देशमुख सामान्य हैं।

फालतू की विशेषता म्यूजिक और डांस में है। संगीतकार जिगर-सचिन और निर्देशक-कोरियोग्राफर रेमो डिसूजा का पूरा ध्यान उसी पर रहा है। फिल्म के संवाद लेखकों की सूची काफी लंबी है। फिल्म में उनके योगदान का सामूहिक प्रभाव कहीं नहीं दिखता।