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सोमवार, 2 मई 2011

अमेरिका के लिए दुश्मन नंबर एक था ओसामा

अमेरिका के लिए दुश्मन नंबर एक था ओसामा


नई दिल्ली। अमेरिका के लिए ओसामा बिन लादेन दुश्मन नंबर एक था। 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका पर हुए आतंकी हमले के बाद वह अमेरीकी ख़ुफि़या एजेंसी सीआईए के लिए सर्वाधिक वाछित व्यक्ति था।

आतंकी नेटवर्क अलकायदा की स्थापना करने वाला ओसामा बिन लादेन [54वर्ष] न्यूयार्क और वाशिगटन में 11 सितंबर 2001 को हुए हमलों सहित कई आतंकी घटनाओं का मास्टरमाइंड था।

वह 1998 में अफ्रीका में अमेरिका के दो दूतावासों पर हुए बम हमलों और अक्तूबर 2000 में अदन के यमनी बंदरगाह पर यूएसएस कोल पर हुए हमले की घटनाओं में संदिग्ध था।

सऊदी अरब से निष्कािसत ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान के तालिबान शासन पर अमेरिका नीत हमले के बाद से ही भागता फिर रहा था। तालिबान ने ही लादेन को अफगानिस्तान में पनाह दी थी। अमेरिका नीत हमले में तालिबान के शासन का खात्मा हो गया था।

वर्ष 1957 में जन्मा लादेन सऊदी अरब के सबसे धनी भवन निर्माता का बेटा था। कई अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घटनाओं के लिए अमेरिका को ओसामा और उसके साथियों की तलाश थी। दस साल से अमेरिका ओसामा को जिंदा या मुर्दा पकड़ने पर अरबों डॉलर खर्च कर चुका है।

ओसामा बिन लादेन के पास अथाह संपत्ति है। उसने अफगानिस्तान में तालेबानी अभियान को संरक्षण दे रखा था। उसने अमेरिका के खिलाफ पवित्र युद्ध और अमेरिकीयों और यहूदियों को मारने का आह्वान किया था।

इस्लामिक ट्रेनिंग सेंटरों की स्थापना में सहयोग देने का भी ओसामा पर शक है। इनकी मदद से चेचेन्या और पूर्व सोवियत संघ के कई हिस्सों में लड़ाई के लिए योद्धा तैयार किए जाते हैं। कहा जाता है कि ओसामा के आसपास कोई तीन हज़ार लड़ाकों की फ़ौज होती थी।

ओसामा की ताक़त की बुनियाद बनी उसके परिवार द्वारा सऊदी अरब में निर्माण कार्यो के धंधे से अर्जित की गई संपत्ति थी। सऊदी अरब में एक यमन परिवार में पैदा हुए ओसामा बिन लादेन ने अफगानिस्तान पर सोवियत हमले के ख़िलाफ़ लड़ाई में हिस्सा लेने के लिए 1979 में सऊदी अरब छोड़ दिया।

कई जानकार मानते हैं कि ओसामा को ट्रेनिंग सीआईए ने ही दी थी।

अफ़ग़ानिस्तान में ओसामा ने मक्तब-अल-ख़िदमत की स्थापना की, जिसमें दुनिया भर से लोगों की भर्ती की गई और सोवियत फ़ौजों से लड़ने के लिए उपकरणों का आयात किया गया।

धर्म का तिरस्कार करने वाली एक विचारधारा के खिलाफ लड़ाई में अफ़गानी मुस्लिम भाइयों का साथ देने के लिए मिस्त्र, लेबनान और तुर्की से हज़ारों लोग बिन लादेन के साथ आ गए।

ओसामा बिन लादेन के ग्रुप को अरब अफ़गान के नाम से जाना जाने लगा था।

सोवियत सेना के लौट जाने के बाद अरब अफ़गान अमेरिका और मध्य पूर्व में उसके सहयोगियों के खिलाफ जुट गए।

ओसामा बिन लादेन अपना पारिवारिक व्यवसाय संभालने के लिए सऊदी अरब लौट गया, पर 1991 में सरकार विरोधी गतिविधियों के कारण निष्कासित कर दिया गया।

इसके बाद पाच साल तक वह सूडान में रहा और जब अमरीका के दबाव में सूडानी सरकार ने भी उसे निकाल दिया तो वह अफ़ग़ानिस्तान लौट गया। अमेरिका का कहना है कि ओसामा तीन बड़े हमलों में शामिल था। एक 1993 में व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर में हुई बमबारी, दूसरा 1996 में सऊदी अरब में 19 अमरीकी सैनिकों की हत्या और तीसरा 1998 में कीनिया और तंज़ानिया में हुई बमबारी।

11 सितंबर, 2001 को व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले ने तो उसे अमेरिका के लिए अतिवाछित बना ही दिया था।

जानकार मानते हैं कि ओसामा का ग्रुप अपहरण और बमों से हमले करने वाले अन्य ग्रुपों से अलग है क्योंकि वह एक सुगठित ढाँचे वाला ग्रुप न होकर कई महाद्वीपों में काम कर रहे कई ग्रुपों का गठबंधन है। अमेरिकी अधिकारी मानते हैं कि ओसामा बिन लादेन के सहयोगी, यूरोप, उत्तरी अमेरिका, मध्य पूर्व और एशिया के 40 से भी अधिक देशों में सक्त्रिय हैं।

ओसामा से मिलने वाले लोगों के मुताबिक वह बहुत कम बोलने वाला, शर्मीला किस्म का इंसान था। उसकी तीन पत्नियाँ हैं। 11 सितंबर 2001 के बाद से ही ये अटकलें लगाई जाती रही थी कि वह कहा है। पाकिस्तान को उसका संभावित ठिकाना बताया गया। कई बार यह दावा भी किया गया कि वह मारा जा चुका है। पर उसकी ओर से समय-समय पर अपने संदेश वाले टेप भिजवाकर इन दावों को झूठा साबित किया गया।

 अमेरिका अधिकारियों को हमेशा यही लगता रहा कि ओसामा अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर कहीं छिपा है। हालाकि पाकिस्तान इसका खंडन करता रहा, लेकिन अब उसकी मौत पाकिस्तान में ही हुई है। ऐसे में पाकिस्तान की भी पोल खुल गई है। अमेरिका ने ओसामा के ठिकाने के बारे में जानकारी देने वाले को ढ़ाई करोड़ डॉलर का इनाम देने की घोषणा कर रखी थी।