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रविवार, 6 मार्च 2011

निर्वाचन आयोग की नियुक्तियों में विपक्ष भी हो शामिल

निर्वाचन आयोग की नियुक्तियों में विपक्ष भी हो शामिल




नई दिल्ली। मुख्य सतर्कता आयुक्त [सीवीसी] और सूचना आयोग की नियुक्तियों में विपक्ष के सदस्यों की मौजूदगी जरूरी किए जाने के बाद भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का मानना है कि निर्वाचन आयोग की नियुक्तियों में भी विपक्ष के सदस्यों को शामिल किया जाना चाहिए।

आडवाणी ने अपने ब्लाग पर इस बात की इच्छा जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पी जे थामस का नाम भ्रष्टाचार के एक मामले में शामिल होने पर उनकी नियुक्ति रद्द कर दिया। सीवीसी थामस की नियुक्ति के समय चयन समिति में शामिल लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने उनके नाम पर आपत्ति की थी।

इस फैसले का संदर्भ देते हुए आडवाणी ने लिखा है कि यह देश का सौभाग्य है कि आज सुप्रीम कोर्ट अपने संवैधानिक कर्तव्यों को लेकर इतना जागरुक है। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर न्यायालय ने सरकार को पहला आघात 1998 में पहुंचाया था, जब विनीत नारायणन मामले में प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे एस वर्मा, न्यायमूर्ति एस पी भडूचा और न्यायमूर्ति एस सी सेन ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था।

आडवाणी के मुताबिक इसी फैसले के प्रभावस्वरूप केंद्रीय सतर्कता आयोग को सीबीआई की कार्रवाई पर निगरानी रखने वाला एक संवैधानिक निकाय बनाया गया और इसी फैसले के बाद मुख्य सतर्कता आयुक्त की नियुक्ति का अधिकार तीन सदस्यीय समिति को सौंपा गया।

भाजपा नेता ने लिखा है कि इसी फैसले के परिणामस्वरूप इस समिति में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता को सदस्य बनाया गया, जबकि इस फैसले से पहले इस पद पर नियुक्ति केवल सरकार करती थी।

आडवाणी ने लिखा है कि इतनी अहम नियुक्ति में विपक्ष को शामिल करने का न्यायमूर्ति वर्मा का फैसला अभूतपूर्व था। इसके बाद जब सूचना का अधिकार अधिनियम लाया गया, तो इस आयोग की चयन समिति में भी लोकसभा में विपक्ष के नेता को शामिल किया गया।

भाजपा नेता के मुताबिक, भारत जैसे सबसे बड़े लोकतंत्र में, उनका मानना है कि निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति से जुड़े अनुच्छेद 324 में एक बहुत अहम प्रावधान होना चाहिए। आडवाणी ने अचुच्छेद 324 के हवाले से कहा है, कि निर्वाचन आयोग में मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति होगी और राष्ट्रपति अगर तय करते हैं, तो इसमें दूसरे निर्वाचन आयुक्त को भी नियुक्त किया जा सकेगा। मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दूसरे निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्ति संसद की ओर से राष्ट्रपति द्वारा बनाए गए नियमों के आधार पर होगी।

भाजपा नेता ने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के 1998 के इस फैसले को आरटीआई अधिनियम में भी लिया गया, अगर निर्वाचन आयोग से जुड़ी नियुक्तियों में भी इसे लागू किया जाए तो यह उचित और लोकतंत्र को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम साबित होगा।