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रविवार, 20 मार्च 2011

अब भाजपा भी आई विकिलीक्स की चपेट में

अब भाजपा भी आई विकिलीक्स की चपेट में



नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। विकिलीक्स के रहस्योद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से इस्तीफे की मांग कर रही भाजपा अब खुद इसकी चपेट में आ गई है। विकिलीक्स के जो नए केबल सामने आए हैं, उनके मुताबिक लालकृष्ण आडवाणी और शेषाद्रिचारी सरीखे भाजपा नेताओं ने अमेरिका को आश्वस्त किया था कि वे सिर्फ संप्रग से राजनीतिक बढ़त हासिल करने के लिए ही अमेरिका की आलोचना करते हैं। इन नेताओं ने अमेरिका को यह भी भरोसा दिलाया कि सरकार में आने पर परमाणु करार को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। इस रहस्योद्घाटन के बाद भाजपा ने इस तरह के दावों से अपना पल्ला झाड़ लिया है। जबकि कांग्रेस ने भाजपा पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है।

शुक्रवार तक सरकार को कठघरे में खड़ा कर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर इस्तीफे के लिए दबाव बढ़ा रही भाजपा को शनिवार को गहरा झटका लगा। अब उसे इस मामले में पहले खुद सफाई देनी पड़ रही है। भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस तरह के दावों को सिरे से खारिज कर दिया है। जावड़ेकर के अनुसार, सच्चाई तो यह है कि भाजपा के कड़े विरोध के कारण ही सरकार को असैन्य परमाणु दायित्व विधेयक में कोई एक-दो नही, बल्कि 16 संशोधन करने पड़े थे। हालांकि भाजपा अमेरिका के साथ सामरिक संबंधों की अहमियत समझती है।

दूसरी तरफ कांग्रेस ने मौका पाते ही भाजपा पर पलटवार किया है। पार्टी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा है कि भाजपा विकिलीक्स के रहस्योदघाटन के आधार पर संसद की कार्यवाही में बाधा डालने और सरकार के विरोध के लिए जो मानक बना रही थी, अब उन्हें वह अपने ऊपर भी लागू करे। तिवारी के अनुसार, भाजपा ने विकिलीक्स को अपने राजनीतिक दर्शन की पवित्र किताब बना लिया है, जबकि कांग्रेस ने भाजपा को इस बारे में आगाह भी किया था।

विकिलीक्स के एक केबल में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और अमेरिकी दूतावास के अधिकारी पीटर बुर्लेग के बीच मई 2009 की मुलाकात का जिक्र है। जिसमें आडवाणी ने कहा था कि भाजपा किसी भी अंतरराष्ट्रीय समझौते को हल्के में नहीं लेती है। हालांकि आडवाणी ने जुलाई 2008 में यह भी कहा था कि इस समझौते ने देश की सामरिक स्वायत्तता को सीमित किया है और वह सत्ता में आई तो इसका दोबारा निरीक्षण करेगी। इस पर अमेरिकी अधिकारी ने लिखा था कि भाजपा इस समझौते की समीक्षा नहीं करेगी।

इसके अलावा जो और नई बातें उभर कर सामने आई हैं, उनमें भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य शेषाद्रिचारी ने अमेरिका के एक अधिकारी को कहा था कि विदेश नीति संबंधी प्रावधानों पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है। वह भी खास तौर पर अमेरिका से जुड़े मामलों पर। शेषाद्रिचारी ने यह भी कहा कि हम लोग यह संप्रग पर राजनीतिक बढ़त पाने के लिए करते हैं। इसमें प्रकाश जावडेकर के हवाले से यह भी कहा गया कि वह तो यह चाहते हैं कि भारत-अमेरिका परमाणु करार के करीब आएं।