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मंगलवार, 15 मार्च 2011

खतरे में जापान, दो और रिएक्टरों में विस्फोट

खतरे में जापान, दो और रिएक्टरों में विस्फोट



टोक्यो। भूकंप और सुनामी के खतरे से निकलने की कोशिश करता जापान परमाणु विकिरण की भीषण विभीषिका में फंसता नजर आ रहा है। भूकंप से क्षतिग्रस्त हुए फुकुशिमा के देइची परमाणु संयंत्र के रिएक्टर नंबर दो और रिएक्टर नंबर चार में मंगलवार को विस्फोट हुए। इसके बाद यहां आग लग गई। अब संयंत्र के चारों रिएक्टरों की स्थिति गंभीर बताई जा रही है। इससे पहले रिएक्टर नंबर एक में शनिवार को और रिएक्टर नंबर तीन में सोमवार को विस्फोट हो चुके हैं। मंगलवार देर शाम आए 6.0 तीव्रता के भूकंप से राजधानी टोक्यो में एक बार फिर दहशत फैल गई। भूकंप के झटके से इमारतें हिल गई और लोगों में अफरातफरी मच गई।

विकिरण संकट पर मुख्य कैबिनेट सचिव यूकिओ एदानो ने मीडिया से कहा कि निश्चित रूप से ताजा विस्फोटों का लोगों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि संयंत्र 'गंभीर' हालत में पहुंच चुका है। इसके नष्ट होने पर बड़ी मात्रा में विकिरण का डर है।

प्रधानमंत्री नाओतो कान ने जापान टेलीविजन पर देशवासियों को संबोधित किया और चेतावनी दी कि 'आने वाले समय में विकिरण का खतरा अत्यधिक' है। उन्होंने परमाणु संयंत्र का काम देख रहे अधिकारियों के खिलाफ कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए फटकार लगाई कि 'आखिरकार यह सब हो क्या रहा है?'

इस बीच फ्रांस दूतावास ने कुछ घंटों में निम्न स्तर के विकिरण के फुकुशिमा से 240 किलोमीटर दूर टोक्यो पहुंचने की घोषणा की। घोषणा में कहा गया कि 10 घंटे में विकिरण तत्वों से लैस हवाएं राजधानी टोक्यो पहुंच जाएंगी। इससे हड़कंप मच गया। कई लोगों ने शहर छोड़ दिया। लोगों ने खाने-पीने की चीजें और टॉर्च-बैटरी जैसे जरूरी सामानों की जोर-शोर से खरीदारी शुरू कर दी।

परमाणु विशेषज्ञों के अनुसार रिएक्टर नंबर तीन के पास विकिरण का स्तर साल भर में होने वाले विकिरण से 400 गुना ज्यादा हो चुका है। क्योदो समाचार एजेंसी ने कहा कि टोक्यो से मात्र 10 किलोमीटर दूर चीबा प्रांत में विकिरण का स्तर सामान्य से 10 गुना ज्यादा पाया गया है। जबकि टोक्यो के ही नजदीक साइतामा में परमाणु विकिरण का स्तर 40 गुना ज्यादा पाया गया है।

क्योदो ने बताया कि संयंत्र का काम देखने वाली टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी [टेपको] ने भी मंगलवार के विस्फोटों के बाद स्थिति की गंभीरता को स्वीकारा है। उसने रिएक्टरों से 800 कर्मचारियों को बाहर चले जाने के आदेश दे दिया है। मात्र पचास विशेषज्ञों को रिएक्टरों की कूलिंग के काम में रखा गया है। कंपनी ने रिएक्टरों के नष्ट होने की आशंका से इंकार नहीं किया है क्योंकि ईधन छड़ें [फ्यूल रॉड्स] अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं।

दो दिन और..:-

विशेषज्ञों का कहना है कि चारों क्षतिग्रस्त रिएक्टर अगले दो दिन में 'अत्यधिक गंभीर' स्थिति में पहुंच जाएंगे। ऐसे में हवा का रुख बहुत कुछ तय करेगा। यदि हवाएं समुद्र की दिशा में बहीं, तो खतरा टलने की संभावना होगी। जबकि शहर की ओर हवाएं बहने पर जापान से दर्दनाक खबरें आ सकती हैं।

जापान के पड़ोसी भी खतरे में!

टोक्यो। जापान के फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में विस्फोटों से शुरू हुआ विकिरण रूस तक पहुंच गया है। रूस के तटीय शहर व्लाडीवोस्टक में विकिरण का स्तर बढ़ने की खबर आई है।

टाइम पत्रिका के अनुसार अब जापान के पड़ोसी देशों को भी विकिरण का खतरा महसूस हो रहा है। ताइवान, फिलीपींस, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, थाइलैंड, मलेशिया और हांगकांग में इसका असर फैलने की आशंका है। फुकुशिमा संयंत्र में विस्फोटों के बाद से इन एशियाई देशों में यहां से आयात होने वाले सामानों की गहन जांच की जा रही है। मंगलवार को फुकुशिमा की रिपोर्टिग कर हांगकांग लौटे पत्रकारों के स्वास्थ्य की गहन जांच की गई।

ताइवान की परमाणु ऊर्जा परिषद [एईसी] जापान में होने वाले रेडियोएक्टिव पदार्थो की सांद्रता की निगरानी कर रही है। एईसी के निदेशक चेन वाई पिन ने कहा कि फिलहाल देश में विकिरण का स्तर सामान्य है। हालांकि आसामान्य परिस्थितियों का पता लगने पर आपातकालीन उपाय किए जाएंगे। परिषद के उपनिदेशक ने स्थानीय लोगों को अनावश्यक रूप से आयोडीन की गोली खाने से मना किया है, इसके गैरजरूरी सेवन से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यही नहीं स्थानीय बाजारों में खाद्य पदार्थो की गहन जांच की जा रही है।

अन्य एशियाई देश भी जापान से आयात होने वाले खाद्यान्न की जांच कर रहे हैं। हांगकांग के खाद्य और सुरक्षा सचिव यार्क चाओ ने कहा कि दुग्ध से बने उत्पादों, फलों और सब्जियों की विशेष रूप से निगरानी की जा रही है। इनमें किसी प्रकार का दोष पाए जाने पर उन उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा।

मलेशिया जापान से हर साल 48,500 टन मछली, फल, सब्जियों और अनाज का आयात करता है। वहां भी कड़ी निगरानी की जा रही है। दक्षिण कोरिया में आगामी 30 अप्रैल तक हफ्ते में एक बार विकिरण की जांच की जाएगी। उसके बाद मई और जून में महीने में एक बार जांच करने का आदेश सरकार ने दिया है।

जर्मनी ने बंद किए सात परमाणु रिएक्टर

बर्लिन। जर्मनी ने मंगलवार को देश के सात सबसे पुराने परमाणु रिएक्टरों को बंद करने का आदेश दिया। जापान के परमाणु संयंत्रों में हुई दुर्घटनाओं के बाद सोमवार को जर्मनी ने अपने सभी 17 परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा प्रणाली की समीक्षा करने की घोषणा की थी।

जर्मनी की चांसलर एंजेला मार्केल ने पांच राज्यों के प्रमुखों से मुलाकात के बाद पत्रकारों को यह जानकारी दी। ये पुराने परमाणु रिएक्टर उन्हीं पांच राज्यों में स्थित हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 1980 से पहले चल रहे इन परमाणु संयंत्रों को मध्य जुलाई तक बंद रखा जाएगा। इनके अलावा वर्ष 1883 में शुरू हुए एक अन्य परमाणु संयंत्र भी अनिश्चित काल के लिए बंद रहेगा। कई दुर्घटनाओं के बाद इस संयंत्र को पावर ग्रिड से वापस ले लिया गया था। मार्केल ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा की सवचर््ेच्च प्राथमिकता को देखते हुए ही यह फैसला लिया गया है।

परमाणु विकिरण के स्वास्थ पर खतरे

नई दिल्ली [जागरण न्यूज नेटवर्क]। जापान में परमाणु विकिरण के खतरे ने लोगों को बुरी तरह डरा दिया है। इस विकिरण से लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव होता है। करीब दो सौ जापानियों के विकिरण का शिकार होने की खबर आई है।

जानिए इस खतरे को:-

संक्रमण से मृत्यु तक:-

रेडियोएक्टिव पदार्थो से संक्रमित होने के शुरुआती संकेत ये हैं कि इसमें नाक बहती है, उल्टी-दस्त लग जाते हैं। व्यक्ति के शरीर में पानी कम हो जाता है। संक्रमण के कुछ ही मिनटों या घंटों में ऐसा होने लगता है। व्यक्ति इनसे तत्काल उबर भी सकता है और स्वस्थ दिखता है।

बाद के महीनों में ये संकेत उभरते रहते हैं और धीरे-धीरे व्यक्ति की भूख खत्म हो जाती है, वह थका रहने लगता है। आगे चल कर वह बुखार, जुकाम, उल्टी, डायरिया से ग्रस्त रहने लगता है। अंतत: स्वास्थ्य प्रतिरक्षा तंत्र नष्ट हो जाने से उसकी मृत्यु हो जाती है। विकिरण के प्रभाव से व्यक्ति की त्वचा खराब हो जाती है।

कैंसर का खतरा:-

अमेरिकन थायरॉयड एसोसिएशन के अनुसार, विकिरण का सबसे ज्यादा प्रभाव थायरॉयड ग्लैंड्स पर पड़ता है। ये रेडियोएक्टिव पदार्थो के प्रति सबसे ज्यादा संवेदनशील होते हैं। अत: विकिरण से थायरॉयड कैंसर का खतरा पैदा हो जाच च्ैच् बच्चे और युवक इसके सबसे आसान शिकार होते हैं। 40 पार के लोगों में यह खतरा काम होता है।

दूध और दुग्ध पदार्थो से दूरी:-

चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार 98 प्रतिशत मामलों में लोग अप्रत्यक्ष रूप से विकिरण का शिकार होते हैं यानी सांस लेने से संक्रमित होने का खतरा अत्यधिक नहीं होता। दूध और दुग्ध पदार्थो में विकिरण का असर सबसे ज्यादा होता है। फलों में भी होता है। दूध देने वाले जानवर जब विकिरण से संक्रमित घास या अन्य पदार्थ खाते हैं, तो उनका दूध संक्रमित हो जाता है। अत: विकरण का खतरा फैसले ही दूध और दुग्ध पदार्थो का सेवन बंद कर देना चाहिए।

आयोडीन की गोलियां:-

विकिरण के दौरान रेडियोएक्टिव आयोडीन हवा में फैल जाता है। पोटेशियम आयोडीन की गोलियां इसका मुकाबला करने के लिए दी जाती हैं। पोटेशियम आयोडीन थायरॉयड ग्लैंड्स को रेडियोएक्टिव आयोडीन को ग्रहण करने से रोकता है।