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बुधवार, 30 मार्च 2011

हर कोई किशोर दा नही हो सकते: जसपिंदर नरूला

हर कोई किशोर दा नही हो सकते: जसपिंदर नरूला



प्यारी सी मुस्कान व आंखों में अनूठी चमक वाली डॉ. जसपिंदर नरूला ने न केवल बॉलीवुड में बल्कि पॉलीवुड की भी कई फिल्मों के गीतों को अपनी आवाज दी है। फिल्मी गीतों के अलावा सूफी कलाम पर भी उनकी अच्छी पकड़ है। उन्हें संगीत विरासत में मिला है। उनके पिता और माता ने भी संगीत की दुनिया में नाम कमाया। भाई मिक्की नरूला भी संगीत से जुड़े हैं जसपिंदर को दिल्ली विश्वविद्यालय से 2008 में हिन्दुस्तानी शास्त्री संगीत में डॉक्टरेट की डिग्री मिला। प्यार तो होना ही था फिल्म के टाइटिल सॉन्ग से चर्चा में आने ओर इसी गीत के लिए फिल्मफेयर अवार्ड पाने वाली जसपिंदर इन दिनों मास्टर सलीम के साथ एक लोक गीतों वाला एलबम बना रही है। इसके अलावा जल्द ही उनका एक भक्ति एलबम आने वाला है। पॉलीवुड के लिए उन्होंने हाल ही में आई फिल्म एक नूर के अलावा जी आयां नू, यारां नाल बहारां, पिंड दी कुड़ी, मिनी पंजाब आदि फिल्मों में गीत गाए हैं। यही नही, उनके कई पंजाबी एलबम भी आए हैं। नछत्तर गिल के साथ उनका डुएट एलबम के अलावा ओ लाल मेरी पट रखियो, माहिया मैं लोंग गवा आई हां, मुंडा तू ए पंजाबी सोहणा, बिल्लो नी तेरे नखरे ने आदि इनके लोकप्रिय पंजाबी गीत है। हाल ही में जालंधर आई जसपिंदर नरूला से हुई बातचीत के प्रस्तुत है अंश..

पंजाबी फिल्मों के इस दौर में पंजाबी संगीत को आप कहां पाती हैं?

लोकगीतों से हट कर अब पंजाबी फिल्मी गीतों में भी कई मेलोडियस गीतों ने अपनी विशेष पहचान बनाई है। इससे जाहिर है कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में संगीत के बदलाव की बयार बहने लगी है।

अब काफी पंजाबी फिल्में बन रही हैं, लेकिन ज्यादातर विदेशी दूल्हों या विदेश से वतन वापसी के विषय पर ही केंद्रित हैं?

जी हां, पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री तरक्की कर रही है, लेकिन अब भी बजट की कमी के कारण यहां की फिल्में बॉलीवुड का मुकाबला नहीं कर पा रहीं। इन फिल्मों में स्टोरी लाइन एक जैसी होना भी माइनस प्वॉइंट है। यहां के प्रोड्यूसर अभी रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं। साथ ही जनता में भी विदेश का इतना क्रेज है कि फिल्मों का टॉपिक विदेश पर केंद्रित होना जाहिर सी बात है। पंजाबी लोग भी एक्सपेरिमेंट कबूल नहीं करते। हालांकि पंजाबी थीम बॉलीवुड में खूब प्रचलित हो रहे हैं, लेकिन उन में भी पंजाबी परिवारों को वास्तविकता से दूर और ओवर ग्लैमराइज कर के दिखाया जाता है। वे पंजाबी सभ्यता के आइना नहीं हैं।

कई पंजाबी गायक ऐक्टर भी बन गए हैं। इस बारे में आपकी क्या राय है?

मेरा मानना है कि हर कोई किशोर दा (कुमार) नहीं हो सकता। गायक को अपनी गायकी पर ही ध्यान केंद्रित रखना चाहिए, ताकि वह उस काम के साथ न्याय कर सके।

पंजाबी म्यूजिक एलबमों में बढ़ रही अश्लीलता के बारे में क्या कहेंगी?

कई मामलों में पंजाबी संगीत सुनने की नहीं, देखने की चीज होकर रह गया है। इन दिनों कई पंजाबी वीडियो ऐसे आए हैं, जिन्हें परिवार के साथ नहीं देखे जा सकते। मुझे लगता है कि जिस गीत में दम नहीं होता, उसे लोग सुनें, ऐसी कोई बात नहीं होती, उसमें अश्लीलता परोसकर गीत व संगीत से दर्शकों का ध्यान खींचा जाता है।