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रविवार, 20 मार्च 2011

मैं हूं ही ऐसी: विभा आनंद

मैं हूं ही ऐसी: विभा आनंद




धारावाहिक संस्कार लक्ष्मी जी टीवी पर आ रहा है। इसमें लक्ष्मी की मुख्य भूमिका निभा रही हैं विभा आनंद। वे पहले बालिका वधू में सगुना की भूमिका निभा चुकी हैं। धारावाहिक में लक्ष्मी के रोल के लिए उन्हें काफी तैयारी करनी पड़ी है। बता रही हैं खुद विभा।

काफी तैयारी की : किसी अभिनेत्री को अपने द्वारा निभाए जा रहे चरित्र के लिए तैयारी करनी ही पड़ती है। मैंने भी काफी तैयारी की, मानसिक रूप से भी और शारीरिक रूप से भी। संस्कार लक्ष्मी में भूमिका निभाने के लिए इसके निर्माता-लेखक राजू भाई ने विशेष कार्यशाला आयोजित की थी।

करना है बहुत कुछ : मैं देहरादून में पली-बढ़ी हूं। मेरी मानसिकता भी लक्ष्मी जैसे छोटे शहर में रहने वाले लोगों जैसी है, लेकिन जब शूटिंग शुरू हुई, तो मुझे लगा कि लक्ष्मी बनने के लिए मुझे अभी बहुत कुछ करना है। राजू भाई ने मुझ पर बहुत विश्वास किया है। मैं उनका विश्वास तोड़ना नहीं चाहती थी। मैं गुजराती संस्कृति को समझने के लिए गुजराती फिल्में और नाटक भी देखने लगी। राजू भाई ने मुझे गुजराती भाषा और लहजा सीखने में काफी मदद की।

कर रही हूं मेहनत : धारावाहिक में, मैं एक ऐसी लड़की बनी हूं, जो जिंदगी को मजे से जीती है। मासूम है और जहां भी जाती है, अपनी अलग पहचान बनाती है। मैं इसके लिए अपने साथी कलाकारों और दोस्तों की शुक्रगुजार हूं। मैं अपने कुछ गुजराती दोस्तों की मदद से गुजराती लोक गीत और डांडिया-गरबा सीख गई हूं। अब मैं जल्दी ही गुजराती भी बोलने लगूंगी। मैं खूब मेहनत कर रही हूं।

शिव या पार्वती : किसी भी अभिनेत्री को कैमरे के सामने शॉट देने के लिए तैयार होना एक चुनौती है। फिर किसी अभिनेत्री को पुरुष की वेशभूषा में कैमरे का सामना करना हो, तो चुनौती और बढ़ जाती है। मुझे इस सीरियल में जब अ‌र्द्धनारीश्वर का रूप धरना पड़ा, तो बड़ा अजीब लगा। अ‌र्द्धनारीश्वर एक जोड़े का शानदार प्रतिरूप है। मैं सीरियल में लक्ष्मी की भूमिका निभा रही हूं, जो भगवान शिव की भक्त है।

लोगों ने सराहा : मुझे भगवान शंकर के सामने तांडव नृत्य करते हुए गाना भी था। मैं तो भंगड़ा और फिल्मी गीतों पर नाचती थी, ऐसे में तांडव करना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। इसके लिए मेकअप करना और वेशभूषा पहनना बड़ा अजीब लगता था। तांडव में मुझे शिव और शक्ति दोनों ही रूपों में नृत्य करना था। आधे चेहरे में शिव का क्रोध दिखाना था और आधे में पार्वती की पवित्र और शांत छवि। कैसे किया यह मैं ही जानती हूं, लेकिन मैंने किया।

नहीं बनाती योजना : मैं किसी काम को या जिंदगी को लेकर योजना नहीं बनाती। जब जो समय आता है, उसे मन से करने में जुट जाती हूं। आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा। मैं हूं ही ऐसी।