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शनिवार, 5 मार्च 2011

इच्छामृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सोमवार को

इच्छामृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला सोमवार को



नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मुंबई की नर्स अरुणा रामचंद्र शानबाग की इच्छामृत्यु अपील पर सोमवार [सात मार्च] को अपना फैसला सुनाएगा।

अरुणा यौन उत्पीड़न का शिकार होने के बाद पिछले 37 वर्षों से अस्पताल में निष्क्रिय जीवन व्यतीत कर रही है। न्यायमूर्ति मार्कडेंय काटजू और न्यायमूर्ति ज्ञान सुधा मिश्रा की पीठ ने गत दो मार्च को अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती, वरिष्ठ अधिवक्ता टी आर अंधियारुजिना, याचिकाकर्ता के वकील शेखर नाफाड़े और किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल के वरिष्ठ अधिवक्ता पल्लफ सिसोदिया की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अरुणा के लिएच्इच्छामृत्यु के लिए याचिका लेखिका पिंकी विरानी ने दायर की है। उन्होंने न्यायालय को बताया कि अरुणा पिछले 37 वर्षों से निष्क्रिय हालत में है तथा इस दुख से निकलने का एकमात्र रास्ताच्इच्छामृत्यु है।

उल्लेखनीय है कि करुणा किंग एडवर्ड मेमोरियल अस्पताल में नर्स के रूप में कार्यरत थी। 27 नवंबर, 1973 को अस्पताल के सफाई कर्मचारी ने उस पर हमला किया और उसके गले में कुत्ते की चेन से झटके से खींचा और उसके बाद उसका यौन उत्पीड़न किया।