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मंगलवार, 22 मार्च 2011

मानवाधिकार पर भारत को शिक्षा न दे अमेरिका

मानवाधिकार पर भारत को शिक्षा न दे अमेरिका



गांधीनगर। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका से दो टूक कहा है कि वह मानवाधिकार के मुद्दे पर भारत को शिक्षा न दे। इस मामले में वह कितने पानी में है, हमें भी मालूम है। साथ ही केंद्र को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को भारत के आंतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप के मसले का निराकरण करना चाहिए।

मोदी ने यह बातें वर्ष-2006 में तत्कालीन अमेरिकी महावाणिज्य दूत से हुई अपनी बातचीत से संबंधित राजनयिक दस्तावेजों के लीक होने के बाद कही हैं। मोदी ने यह भी कहा कि इन दस्तावेजों में उन्हें सच्चरित्र और गुजरात को प्रगतिशील राज्य बताया गया है। मोदी ने याद करते हुए कहा, कि माइकल ओवेन ने गुजरात के बारे में चर्चा की थी। मैंने उनकी आखों में देखा और कहा कि अमेरिका को मानवाधिकार के मामले में हमें सलाह नहीं देनी चाहिए।

गौरतलब है कि 2006 में जब ओवेन की मोदी से मुलाकात हुई थी तो उस वक्त वह मुंबई में अमेरिकी महावाणिज्य दूत थे। मोदी ने विकिलीक्स द्वारा ओवेन के साथ दो नवंबर 2006 को हुई बातचीत के कथित दस्तावेजों को लीक किए जाने के मद्देनजर अपने रुख को दोहराया है। उसमें ओवेन ने कहा था कि मोदी से सीधी बातचीत से हम गुजरात में मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में अमेरिकी सरकार की चिंताओं के बारे में स्पष्ट संदेश दे सकेंगे।

अमेरिका ने वर्ष 2002 के गुजरात दंगे के मद्देनजर 2005 में भाजपा के इस कद्दावर नेता को वीजा देने से इंकार कर दिया था। मोदी ने मंगलवार को संवाददाताओं से कहा कि अमेरिका हमें मानवता की सलाह न दे। मैं भारत का बेटा हूं और मैं जानता हूं कि आपने मानवाधिकारों का किस तरह उल्लंघन किया है। अच्छी बात है कि बातचीत को सही तरीके से पेश किया गया है।

विकिलीक्स दस्तावेजों का हवाला देकर प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी राजनयिकों ने 2006 में मोदी के राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व हासिल करने की संभावना का सामना करने की स्थिति को देखा।

ओवेन ने अपने दस्तावेज में मोदी के साथ अमेरिका के संवाद शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। दस्तावेज में ओवेन ने कहा कि इस आधार पर मोदी से बातचीत का समर्थन किया कि कल अगर मोदी राष्ट्रीय स्तर पर भूमिका हासिल करें और हम उनसे संवाद करने की कोशिश करें तो भाजपा हमें अवसरवादी नहीं कहे।

लीक हुए अमेरिकी राजनयिक दस्तावेज में प्रणब मुखर्जी की वित्त मंत्री के तौर पर नियुक्ति के संबंध में कही गई बातों के मद्देजर भारत के आतरिक मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप के बारे में पूछे गए सवाल पर मोदी ने कहा कि भारत सरकार को भारत के आतरिक मामले में अमेरिका के हस्तक्षेप के मुद्दे का निराकरण करना चाहिए।

मोदी ने कहा कि अमेरिका ने मुझे सच्चरित्र बताया है। अनेक सच्चरित्र लोग हैं लेकिन उन्होंने मुझे सच्चरित्र बताया है। यह गुजरात के लोगों के लिए अच्छी बात है। विकिलीक्स ने दो चेहरे दिखाए हैं। एक भारत सरकार का और दूसरा प्रगतिशील गुजरात का।

अमेरिका के मुंबई वाणिज्य दूतावास के 2850 शब्दों के इस मूल्याकन को अमेरिकी विदेश मंत्रालय को भेजे जाने से पहले नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने हरी झडी दी थी। इसमें कहा गया है कि निकट भविष्य में भाजपा में अगर मोदी राष्ट्रीय नेतृत्व हासिल करते हैं तो अमेरिकी सरकार यह फैसला करने पर मजबूर होगी कि वह राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हस्ती के साथ कैसे निपटे, जिसका हमने बी। बटा बी 2 रद्द कर दिया था।